Ranchi: झारखंड सरकार द्वारा जमीन रिकॉर्ड को ऑनलाइन की प्रक्रिया शुरू की गई थी ताकि पारदर्शिता बनी रहे और जनता को आसानी हो. लेकिन हकीकत इसके उलट नजर आ रही है. रांची जिला के विभिन्न अंचल कार्यालयों में जमीन से जुड़ी समस्याओं का निराकरण नहीं हो रहा है. बल्कि समस्या लेकर आने वाले लोगों के साथ समाधान के नाम पर टालमटोल किया जाता है. आलम ये है कि अंचल कार्यलय आने वाले लोग खासे परेशान हो रहे हैं. ऑनलाइन रिकॉर्ड में भारी गड़बड़ियां की गई हैं. रैयतों के नाम में गलतियां, रकवा में फेरबदल के अलावा अन्य त्रुटियां हैं. जिससे लोगों को खाली परेशानी हो रही है. जब ग्रामीण या आम लोग समस्याओं के समाधान के लिए अंचल कार्यालय जाते हैं, तो उन्हें बार-बार दौड़ाया जाता है. अधिकारियों और कर्मचारियों का रवैया ऐसा है कि बिना दलालों की मदद और पैसे दिए कोई काम नहीं होता है. इसे भी पढ़ें - पैनम">https://lagatar.in/now-the-high-court-will-hear-the-pil-against-panam-coal-on-march-30/">पैनम
कोल के खिलाफ PIL पर अब हाईकोर्ट 30 मार्च को करेगा सुनवाई रांची में जमीन खरीदने और बेचने के बाद दाखिल-खारिज की प्रक्रिया भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है. लोग नियमानुसार आवेदन जमा कर रहे हैं, फिर भी महीनों तक फाइल दबा दी जाती है. दलालों द्वारा कहा जाता है कि बिना पैसा दिए दाखिल-खारिज नहीं होगा. सरकार के निर्देशानुसार गावों में स्थित सरकारी जमीनों का उपयोग ग्रामीणों की भलाई और सरकारी योजनाओं के लिए होना चाहिए. लेकिन भू-माफिया जमीन पर कब्जा कर ले रहे हैं. अंचल अधिकारियों की मिलीभगत से ये जमीनें अवैध रूप से बेची जा रही हैं. शैक्षणिक आवश्यकताओं के लिए आवासीय, आय और जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए भी छात्रों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. प्रमाण पत्र समय पर नहीं बन रहा है. इसे लेकर मेवा लकड़ा, सुषमा उरांव, मंगलदानी मिंज, शनिचरवा मुंडा, होड़ो उरांव समेत सैकड़ों लोगों ने अंचल कार्यालयों की मनमानी के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया. लोगों का कहना है कि सरकार को इस भ्रष्टाचार पर तत्काल रोक लगानी चाहिए. दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो, ताकि आम जनता को उनका हक मिल सके और अंचल कार्यालयों में व्याप्त रिश्वतखोरी खत्म हो. इसे भी पढ़ें -जैप,">https://lagatar.in/two-adgs-and-12-igs-will-inspect-21-battalions-of-jap-irb-sirb-and-sisf/">जैप,
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रांची के अंचल कार्यालयों में भ्रष्टाचार चरम पर, जमीन की समस्याएं नहीं सुनते अधिकारी - राजेश लिंडा

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