Vinit Upadhyay
Ranchi: रांची सिविल कोर्ट के अधिवक्ता झारखंड स्टेट बार काउंसिल के निर्देशों को किसी भी कीमत पर मानने को तैयार नहीं है. सिविल कोर्ट के कई वकील स्टेट बार काउंसिल के निर्देश को ठेंगे पर रखकर अब भी कार्य कर रहे हैं. रांची सिविल कोर्ट के पुराने बार भवन में आपको रोजाना कई वकील काम करते हुए दिखेंगे. लेकिन इस लॉकडाउन में उनकी फीस थोड़ी ज्यादा है. क्योंकि काउंसिल की मनाही के बावजूद वह काम कर रहे हैं. भले ही काउंसिल ने सख्त निर्देश देते हुए अधिवक्ताओं को किसी भी तरह के न्यायिक कार्य से दूर रहने का निर्देश जारी किया हो. लेकिन इस निर्देश को रांची जिला बार एसोसिएशन के वकील मानने को तैयार नहीं है.
लगातार डॉट इन की टीम ने की पड़ताल
जब लगातार डॉट इन की टीम पुराने बार भवन पहुंची और मामले का पड़तालना की तो देखा कि कई वकील बिना काले कोट के खड़े है. जो न्यायालय से जुड़ा आपका लगभग सभी कार्य कराने के लिए तैयार हैं. अगर आपको एफिडेविट कराना हो, किसी तरह का प्रमाण पत्र बनवाना हो, एग्रीमेंट करवाना हो या फिर नोटरी करानी हो. इस लॉकडाउन के पीरियड में भी आपका कोई काम नहीं रुकेगा. लेकिन इस काम के एवज में आपको मुंह मांगी राशि का भुगतान करना होगा. अगर आप मोलभाव करने में कामयाब रहे तो आपका कुछ पैसा बच सकता है. लेकिन अगर आप किसी जरूरत में हैं और आपका काम काफी महत्वपूर्ण है. तो आपको इन वकीलों द्वारा तय गई कीमत ही चुकानी ही पड़ेगी.
पुराने बार के पास काम कर रहे वकीलों द्वारा किस काम के एवज में कितनी राशि की डिमांड की जाती है वो भी आप जान लीजिए
एफिडेविट की कीमत : 300 रुपये से लेकर 1500 रुपये तक
नोटरी सत्यापित करने की कीमत : 200 रुपये से लेकर 300 रुपये तक
प्रमाणपत्र बनाने की कीमत : 250 रुपये से लेकर 1000 तक( प्रमाणपत्र किस चीज़ का बनना है इसपर रेट तय होता है)
काउंसिल के निर्देश की बेखौफ धज्जियां उड़ाई जा रही हैं
यह आलम राजधानी रांची का है. जहां पर झारखंड स्टेट बार काउंसिल का मुख्यालय है. स्टेट बार काउंसिल के मुख्यालय से महज 4 से 5 किलोमीटर की दूरी पर उस काउंसिल के निर्देश की बेखौफ धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. जिसने अधिवक्ताओं की सुरक्षा और वकीलों के परिवार की सुरक्षा के लिए राज्य भर के वकीलों को अगले 1 सप्ताह तक न्यायिक कार्य करने से दूर रहने का सख्त निर्देश दिया है.
वकील सौदेबाजी करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे
बता दें कि झारखंड स्टेट बार काउंसिल ने अधिवक्ताओं के बीच कोरोना के बढ़ते संक्रमण के ग्राफ को देखते हुए यह निर्णय लिया है कि राज्य भर के अधिवक्ता अगले 1 सप्ताह तक किसी भी तरह के न्यायिक कार्य से खुद को दूर रखेंगे. यह कदम अधिवक्ता और उनके परिवार के सदस्यों को कोरोनावायरस से बचाने के लिए एहतियात के तौर पर उठाया गया है. लेकिन लगातार इस बीच यह खबरें आ रही हैं कि अधिवक्ता काउंसिल के निर्देशों को ठेंगे पर रखकर कार्य कर रहे हैं. बाल भवन बंद है इसके वजह से वकील न्यायालय नहीं जा रहे हैं. लेकिन न्यायालय के बाहर ही वह अपनी मंडी लगाकर सौदेबाजी करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.