कहा जा रहा है कि इस शंघाई गोल्ड एक्सचेंज और बोरसा इस्तांबुल की तर्ज पर स्थापित करने का लक्ष्य है, ताकि भारत को बुलियन फ्लो के लिए एक प्रमुख क्षेत्रीय केंद्र बनाया जा सके. जानकारी के अनुसार यह एक्सचेंज एक साल की देरी, कई ट्रायल और ड्राई रन के बाद लॉन्च किया जा सका है. इसे भी पढ़ें : मेघालय">https://lagatar.in/meghalaya-35-gelatin-sticks-100-detonators-recovered-from-bjp-leaders-farm-house-who-arrested-for-running-brothel/">मेघालयGujarat | PM Narendra Modi lays the foundation stone of the Headquarters Building of the International Financial Services Centres Authority, in Gandhinagar PM Modi also launches the India International Bullion Exchange (IIBX) and NSE IFSC-SGX Connect. pic.twitter.com/8XcrjQ0W67
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29, 2022
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बुलियन को लीगल टेंडर माना जा सकता है!
उच्च शुद्धता का फिजिकल गोल्ड और सिल्वर, जिसे बार, सिल्लियों या सिक्कों के रूप में रखा जाता है, उसे बुलियन कहा जाता है. बुलियन को कभी-कभी लीगल टेंडर माना जा सकता है. इसे अक्सर केंद्रीय बैंकों द्वारा स्वर्ण भंडार के रूप में रखा जाता है या संस्थागत निवेशकों द्वारा रखा जाता है.बुलियन एक्सचेंज का उद्देश्य जानें
1990 के दशक में नोमिनेटेड बैंकों और एजेंसियों के माध्यम से सोने के आयात का उदारीकरण हुआ था. उसके बाद पहली बार भारत में योग्य ज्वैलर्स को आईआईबीएक्स (IIBX) के माध्यम से सीधे सोना आयात (Gold Imports) की अनुमति दी गयी. इसलिए यह एक्सचेंज अपने आप में काफी महत्वपूर्ण है. इसके लिए ज्वैलर्स को एक मौजूदा ट्रेडिंग मेंबर का ट्रेडिंग पार्टनर या क्लाइंट होना जरूरी है. एक्सचेंज ने भौतिक सोने और चांदी के भंडारण के लिए आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित किया है. इसे भी पढ़ें : BSNL-">https://lagatar.in/bsnl-package-more-than-1-lakh-crore-expectations-redundant/">BSNL-1.40 लाख करोड़ का पैकेजः उम्मीद बेमानी
यहां डॉलर में भी हो सकेगी ट्रेडिंग
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार आईआईबीएक्स के सीईओ और एमडी अशोक गौतम ने इस माह की शुरुआत में बताया था कि इसे स्थापित करने के पीछे विचार यह है कि एक एक्सचेंज पर कमोडिटीज की ट्रेडिंग को सक्षम बनाया जाये. चूंकि यह एक अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंज है, इसलिए ट्रेडिंग अमेरिकी डॉलर में भी हो सकती है. हम खुद को एशिया के सबसे बड़े ट्रेडिंग हब के रूप में देखेंगे. IIBX पर कॉम्पिटिटिव प्राइसिंग के कारण इंटरनेशनल प्लेयर्स हमारी सेवाओं का उपयोग करके खुश होंगे. इसके अलावा, इसके एक मुक्त व्यापार क्षेत्र होने के कारण कोई शुल्क नहीं देना होगा. वर्तमान में, भारत में सोने का इंपोर्ट एक कंसाइनमेंट मॉडल पर विभिन्न शहरों में नामित बैंकों और आरबीआई द्वारा अनुमोदित एजेंसियों द्वारा किया जाता है. इसके बाद ट्रेडर्स/ज्वैलर्स को आपूर्ति की जाती है. बैंकों और अन्य एजेंसियों को हैंडलिंग, भंडारण आदि के लिए सोने के निर्यातक से शुल्क मिलता है. घरेलू खरीदारों के साथ लेनदेन करते समय सोने में प्रीमियम भी जोड़ा जाता है. खरीदार इस शुल्क को वैल्यू चेन में तब तक ट्रांसफर करता है, जब तक कि वह अंतिम ग्राहक तक नहीं पहुंच जाता है. इसे भी पढ़ें : संसद">https://lagatar.in/parliament-adjourned-suspended-mps-sit-in-ends-adhir-ranjan-did-not-get-time-from-rashtrapati-bhavan/">संसदस्थगित, निलंबित सांसदों का धरना समाप्त, अधीर रंजन को राष्ट्रपति भवन से समय नहीं मिला

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