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गरीबी के कारण जुड़वा दुधमुंही बच्चियों को दंपति ने कर दिया दान

Bermo: गुरबत की जिन्दगी जी रहे एक दंपति ने अपने दो जुड़वा बच्चियों को जन्म देने के बाद अपने एक रिश्तेदार तो दूसरी बच्ची को व्यक्ति को भरण पोषण के लिए सुपूर्द कर दिया. लोग बेटियों को शादी में दान करते हैं लेकिन इस दंपति ने बेटी के जन्म के साथ ही दूसरे को दान कर दिया. यह ममतामयी घटना बोकारो जिला अन्तर्गत गोमिया प्रखण्ड के साडम स्थित केवट टोला में हुई. देखें वीडियो

मुफलिसी में जी रहा परिवार

गरीबी और मुफलिसी में जीवन गुजार रहे साडम केवट टोला निवासी मेन केवट दिहाडी मजदूर है. उसकी पत्नी भी आसपास के घरों में काम करती है ताकि दो वक्त की रोटी का जुगाड़ हो सके और अपने बच्चों का पेट भर सके. लेकिन गरीबी और लाचारी ने उसे कठोर बना दिया. उसकी पहले से ही तीन बेटी और एक बेटा है. इसके बाद शुक्रवार को फिर एक साथ जुडवा बेटी का जन्म लेना उसकी बेबसी और लाचारी ने उसे पत्थर दिल बना दिया. [caption id="attachment_45327" align="aligncenter" width="493"]https://english.lagatar.in/wp-content/uploads/2021/04/Lagatar-1.jpg"

alt="" width="493" height="1040" /> दुधमुंही बच्चियों को दान करने वाली महिला शांति देवी[/caption] शनिवार को एक दिन के दुधमुंही बच्चियों को एक अच्छी जिन्दगी के लिए उन्होंने दूसरे को सौप दिया. उसकी पत्नी शांति देवी ने इस संबंध में कहा कि जब वह गर्भवती हो गई तो उसी समय मन में संकल्प ले लिया था कि पेट में बच्चे को मारने से अच्छा है कि उसे जन्म देंगे. बेटा होगा तो पाल लेंगे और बेटी होगी तो जिसे जरूरत होगी उसे दे देंगे. चूंकि उसकी पहले से ही तीन बेटियां हैं. शांति देवी ने कहा कि बेटियों का भी पालन पोषण तो कर लेंगे लेकिन शादी के लिए मुश्किल होती है. समाज में तिलक दहेज की प्रथा सूरसा की तरह मुंह बाये खड़ी है. लिहाजा बेटियों को उन्होंने दूसरे को देना बेहतर समझा.

एक दिन की दुधमुंहे बच्ची को खुद से कर दिया जुदा

शांति देवी को शुक्रवार को संयोग से बेटे की जगह दो बेटियां हुईं. पूर्व के अपने फैसले के अनुसार उन्होंने एक बेटी को कसमार प्रखण्ड के चंडीपुर एवं दूसरी बेटी को होसिर के व्यक्ति को सुपूर्द कर दिया. उन्होंने कहा कि वह बेटियों को बेची नही है. उसे बेहतर जिन्दगी के लिए अपने कलेजे के टूकडे को दिया है.

दस फीट के कमरे में रहता है पूरा परिवार

मेन केवट की गरीबी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसके रहने के लिए छोटा सा दस गुणा नौ फीट का एक कमरा है. इसी कमरे में तीन बेटी और एक बेटा सहित पति-पत्नी रहते हैं. सबसे बड़ी बेटी की उम्र 17 साल है. सबसे छोटा बेटा है जिसकी उम्र 5 साल है. मेन केवट मजदूरी के अलावा मछलियां खरीद कर बेचा करता है. उसकी पत्नी भी मजदूरी का काम करती है. लेकिन उन्हें रोज काम नहीं मिलता है. जिसके कारण इस महंगाई में परिवार चलाना मुश्किल होता है. मेन केवट को सरकार की ओर से प्रधानमंत्री आवास योजना लाभ भी नही मिला है. उसके पास जमीन भी नही है. https://english.lagatar.in/cm-said-on-increases-corona-infection-will-take-decision-at-the-right-time/45321/

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