Ranchi: वर्ष 2020 हर तबके और हर क्षेत्र के लोगों के लिए संघर्षपूर्ण रहा. कोरोना की प्रकोप से न्यायिक व्यवस्था भी प्रभावित हुई, जिसका नतीजा ये हुआ कि अब तक झारखंड की पूरी न्यायिक व्यवस्था वर्चुअल मोड़ पर ही चल रही है. नये वर्ष की शुरुआत हो चुकी है और राज्यभर के लगभग 30 हज़ार से ज्यादा वकील इस उम्मीद में हैं कि नये साल में उनका भी कल्याण होगा. वकीलों को उम्मीद है कि पुरानी व्यवस्था में बदलाव होगा और एक बार फिर से चहल-पहल के साथ फिजिकल कोर्ट की शुरुआत होगी.
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सभी वकीलों को अब नये साल से ही उम्मीदें – राजेश शुक्ला
झारखंड स्टेट बार काउंसिल के उपाध्यक्ष राजेश शुक्ला ने बताया कि वर्ष 2021 से झारखंड के तमाम वकीलों को काफी उम्मीदें हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना काल जैसे कठिन समय में भी न्यायिक कार्य बाधित न हो और कोई भी व्यक्ति कानूनी सहायता के अभाव में अपने कानूनी अधिकार से वंचित न रहे, इसके लिए राज्यभर के अधिवक्ताओं ने वर्चुअल माध्यम से न्याय की अलख जलाये रखी.
लेकिन अब वकीलों के सब्र का बांध टूटता हुआ दिख रहा है. क्योंकि न्यायिक कार्यों के अलावा कोर्ट से जुड़े अन्य कार्य करने वाले हजारों वकीलों के सामने अब आर्थिक संकट आ चुकी है, जिसका समाधान कोर्ट को फिजिकल कर किया जा सकता है.
फिजिकली कोर्ट शुरू कर रोका जाये वकीलों का पलायन – राधेश्याम गोस्वामी
धनबाद जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और स्टेट बार काउंसिल के सदस्य राधेश्याम गोस्वामी का कहना है कि न्यायिक कार्य में लगे वकीलों को एलियन न समझते हुए, उन्हें फिजिकल कोर्ट में काम करने की इजाजत दी जाये. राधेश्याम गोस्वामी के मुताबिक, वकीलों ने पूरे कोरोना काल में मुवक्किलों की लड़ाई कोर्ट में लड़ी और इस दौरान कई जिलों के अधिवक्ता न सिर्फ कोरोना की चपेट में आये, बल्कि कोरोना ने उनकी जिंदगी भी लील ली.
उन्होंने कहा कि पूरे अधिवक्ता समाज को अब आस है कि, नये साल की शुरुआत में ही कोविड-19 से जुड़े सभी नियमों का पालन करते हुए और सभी गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए अदालतों में पहले की तरह कार्य करने की इजाजत दी जाएगी.जिससे वकीलों की आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा और वकीलों का पलायन भी रुकेगा.
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