Ranchi: आपातकाल की 50वीं बरसी पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) ने 1975 की इमरजेंसी और वर्तमान राजनीतिक हालात की तुलना करते हुए कहा कि आज की अघोषित इमरजेंसी उससे कहीं अधिक भयावह और सर्वव्यापी है. पार्टी ने कहा कि इंदिरा गांधी की घोषित इमरजेंसी संविधान के तहत थी, लेकिन आज जो हो रहा है, वह संविधान की किसी धारा में नहीं आता.
सीपीएम ने दावा किया कि 1975 की इमरजेंसी में प्रेस पर सेंसरशिप थी. लेकिन वह नियमबद्ध थी. आज मीडिया पर कारपोरेट नियंत्रण है और निडर पत्रकारों को जेल भेजा जा रहा है या उनकी हत्याएं तक हो रही हैं. असहमति की आवाज़ें जो लेखक, बुद्धिजीवी, पत्रकारों की थी, वो कुचली जा रही हैं.
पार्टी ने कहा कि पहले मीसा और डीआईआर जैसे कानूनों में अदालती समीक्षा संभव थी, मगर अब यूएपीए जैसे कानूनों का दुरुपयोग हो रहा है, जिसमें लोग सालों जेल में रहकर बाद में बरी हो रहे हैं.
सीपीएम ने आरोप लगाया कि भाजपा की पूर्ववर्ती पार्टी जनसंघ और आरएसएस 1975 की इमरजेंसी में इंदिरा गांधी के सामने झुकी थी. संघ प्रमुख ने माफीनामे लिखे और सरकार के कार्यक्रमों में सहयोग दिया था. पार्टी ने मौजूदा हालात को लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की आज़ादी और संविधान के लिए गंभीर ख़तरा बताया और जनता से इसे पहचान कर मुकाबला करने की अपील की.
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