
क्रिकेट ‘जेंटलमैन’ गेम नहीं ‘बिजनेसमैन’ गेम है, विक्टिम कार्ड खेल रहे विराट से सहानुभूति नहीं

Apurv Bhardwaj वन डेे की कप्तानी से हटते ही अपने आप को क्रिकेट की राजनीति का शिकार बताकर विक्टिम कार्ड खेल रहे विराट कोहली से एक प्रतिशत भी सहानुभूति नहीं है. रोहित और विराट के समर्थकों से बहसबाज़ी से दूर सच सिर्फ इतना है कि कल भी क्रिकेट को व्यापारी चलाते थे, आज भी व्यापारी चला रहे हैं. अब क्रिकेट ‘जेंटलमैन’ गेम नहीं रह गया, जिस किसी को भी यह मुगालता हो वह जल्द से जल्द दूर कर ले. थोड़ी मेमोरी रिफ़्रेश कीजिए. वर्ष 2017 का वह दिन याद कीजिए. कैसे अनिल कुंबले को कोच के पद से विराट ने वीटो करके हटाया था, जो विराट आज बोर्ड को गरिया रहे हैं, वह खुद शास्त्री से मिलकर कुंबले जैसे सच्चे और प्रोफेशनल क्रिकेटर को हटाने का खेल रचे थे. ताकि उनका एक छत्र वर्चस्व बना रहे और उनकी मडरगश्ती को कोई रोके टोके नहीं ! विराट ने गंभीर के साथ जो किया था, वह किसी से छुपा है क्या? आज विराट उसी राजनीति का शिकार हैं, जिसकी शुरुआत उन्होंने खुद की थी. विराट के समर्थक भोकाल मचा रहे हैं, तो भैया सुन लो ये बड़े लोग हैं. यह सब जानते हैं बोर्ड और क्रिकेट कैसे चलते हैं. इनके मुंह से ज्ञान की बातें बकवास लगती है. जब गंभीर, कुंबले और सहवाग को निकाला जा रहा था, तो यह मुंह में दही जमा कर बैठे थे. विराट नैतिकता की बातें न करे तो बेहतर है. क्रिकेट आज बेहिसाब पैसे कमाने की उपजाऊ जमीन है. खिलाड़ियों, व्यापारियों और कंपनियों को करोड़ों कमाना है या नेताओं को, खुद को या अपने बेटों को बोर्ड में पद देना है, सबके पास कोई न कोई मक़सद है, जिसका इस्तेमाल जेंटलमैन गेम को बदनाम करने के लिए किया जाता है. अपनी कप्तानी जाने के डर से आप गंभीर और अश्विन को निकाल देते हैं और खुद करोडों कमा रहे हैं. एक भी आईसीसी ट्रॉफी नहीं जीती. फिर भी कप्तानी छोड़ना नहीं चाह रहे हैं. विराट जी आप अपने खिलाड़ियों के नहीं हो सकते, तो फिर आप खेल के क्या होंगे. केवल विराट नाम होने से कोई दिल से बड़ा नहीं हो जाता है. सच्चाई नैतिकता से आती है और आज के क्रोनि कैपिटलिस्ट क्रिकेट में नैतिकता नाम की कोई चिड़िया नहीं है. अब क्रिकेट जेंटलमैन गेम नही बिजनेसमैन गेम है और यही अंतिम सत्य है. डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. [wpse_comments_template]