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CryptoCurency - भारतीय बैंकों का कदम “लीगल धोखाधड़ी” से कम नहीं

Girish Malviya
टीवी पर IPL के दौरान क्रिप्टो करेंसी में निवेश करने के खूब विज्ञापन दिखाए गए. TV पर विज्ञापनों के जरिए क्रिप्टो एक्सचेंजेज की आक्रामक मार्केटिंग की गई और लोगों ने भी जमकर निवेश किया. एक अनुमान के मुताबिक, भारत में विभिन्न क्रिप्टो करेंसी में 10 हजार करोड़ रुपये निवेश हो चुका है.
अब RBI ने बैंकों से कह रहा है कि वह क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज से सभी तरह के करार की दोबारा समीक्षा करें और उसे खत्म करें. जबकि सुप्रीम कोर्ट पिछले साल बैंकों को क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज और कारोबारियों के साथ काम करने की अनुमति दे चुका है.
वर्ष 2018 में रिजर्व बैंक ने बैंकों के निर्देश दिया था कि वह क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज और उनके कारोबारियों के खातों पर प्रतिबंध लगा दें. लेकिन रिजर्व बैंक के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी और मार्च 2020 में शीर्ष अदालत ने बैंकों को क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज के साथ काम जारी करने की अनुमति दे दी.

यानी एक तरह की लीगल धोखाधड़ी लोगों के साथ की गी. माल जमा खाता बंद. इस महीने की शुरुआत से ही ICICI Bank और INDUIND बैंक जैसे प्राइवेट बैंकों ने पेमेंट गेटवे पार्टनर्स को ऐसे ट्रांजैक्शंस की प्रोसेसिंग रोकने को कहा. HDFC बैंक, Yes बैंक, SBI और कोटक महिंद्रा बैंक पहले से ही इस तरह की ट्रांजैक्शंस को प्रोसेस नहीं कर रहे हैं. पिछले कुछ हफ्तों से देश के सभी बड़े पेमेंट गेटवे सर्विसेज प्रोवाइर्स ने ICICI बैंक जैसे लेंडर्स के निर्देश पर इस तरह के पेमेंट्स की प्रोसेसिंग बंद कर रखी है. हालांकि किसी भी बैंक या गेटवे ने इस बारे में कोई लिखित निर्देश जारी नहीं किया है.

यानी, निवेशकों के करीब 10,000 करोड़ रुपये की डिजिटल करेंसी को होल्डो पर पटक दिया गया है, सरकार अब देश में प्राइवेट क्रिप्टोडकरेंसी बैन कर खुद की डिजिटल करेंसी लाने के पक्ष में है. भारतीय डिजिटल करेंसी के प्रबंधन की जिम्मेकदारी आरबीआई के पास होगी. माना जा रहा है कि नया कानून आने के बाद मौजूदा क्रिप्टोधकरेंसी होल्डरर्स को इससे बाहर निकलने का मौका भी मिलेगा. लेकिन ऐसे निवेशकों और ट्रेडर्स को ट्रेडिंग, माइनिंग और होल्डिं ग को लेकर अपनी जानकारी साझा करनी होगी.

नए बिल में क्रिप्टोकरेंसी के ट्रांसफर, होल्डिंग, माइनिंग और ट्रेडिंग पर सख्त सजा हो सकती है. पर एक मात्र अच्छी बात यह बताई जा रही है कि बिल में क्रिप्टोकरंसीज धारकों को इसे लिक्विडेट करने के लिए छह महीने तक का समय मिलेगा. इसके बाद पेनाल्टी लगायी जाएगी.देखते हैं अब यह बिल कब आता है और भारत के वित्तीय बाजार में क्या परिवर्तन आता है.

डिस्क्लेमर : ये लेखक के निजी विचार हैं.