- होटल खरीदने के लिए कृष्णा शिपिंग एंड लॉजिस्टिक के मालिक श्यामल चंद्र सरकार से एक करोड़ रुपये लिया.
- दाहू ने अवैध कमाई में से 20.67 करोड़ रुपये बैंकिंग चैनल का इस्तेमाल कर व्हाईट करने की कोशिश की.
- मनिहारी घाट तक फेरी सर्विस का ठेका लेने के लिए नव यातायात समिति को मुखौटे की तरह इस्तेमाल किया.
Ranchi: अवैध खनन घोटाले के फरार अभियुक्त राजेश यादव उर्फ दाहू यादव ने होटल व्यावसाय के लिए चर्चित व्हाईट हाउस को 3.25 करोड़ रुपये में खरीदा. व्हाईट हाउस खरीदने के लिए मालवाहक जहाज के मालिक से उसने एक करोड़ रुपये लिये थे. दाहू ने अवैध कमाई में से 20.67 करोड़ रुपये बैंकिंग चैनल का इस्तेमाल कर व्हाईट करने की कोशिश की. इडी की जांच रिपोर्ट में इन तथ्यों का उल्लेख किया गया है.
जांच रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया है कि साहिबगंज में अवैध खनन के लिए टोल से मालवाहक जहाज को नियंत्रण में ले लिया गया था. राजेश यादव उर्फ दाहू यादव ने साहिबगंज से मनिहारी घाट तक फेरी सर्विस का ठेका लेने के लिए नव यातायात समिति को मुखौटे की तरह इस्तेमाल किया. उसने दो मालवाहक जहाज किराये पर लिया. और नव यातायात समिति के नाम पर फेरी का ठेका लेकर अवैध खनन से निकाले गये पत्थर, स्टोन चिप्स को दूसरा राज्य में पहुंचाने का काम किया.
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रिपोर्ट में कहा गया है कि दाहू यादव होटल के व्यावसाय के लिए साहिबगंज का चर्चित व्हाइट हाउस को 3.25 करोड़ रुपये में खरीदा. इसके लिए कृष्णा शिपिंग एंड लॉजिस्टिक के मालिक श्यामल चंद्र सरकार से एक करोड़ रुपये लिया. दाहू ने इसी कंपनी का एक मालवाहक जहाज (Cargo Vessels) भी किराये पर ले रखा था.
जांच के दौरान इस कंपनी के मालिक श्यामल चंद्र सरकार ने यह स्वीकार किया कि दाहू यादव के कहने पर उसने एक करोड़ रुपये दिये हैं. यह रकम M/s Maya Holiday Inn नामक कंपनी को दी गयी थी. श्यामल ने एक करोड़ कर्ज के बदले दाहू यादव से किसी तरह की गारंटी नहीं ली थी. दाहू ने M/s Maya Holiday Inn के नाम पर चर्चित व्हाइट हाउस खरीदी.
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इडी ने जांच में पाया कि दाहू यादव ने कृष्णा शिपिंग एंड लॉजिस्टिक नामक कंपनी का मालवाहक जहाज (Cargo Vessels) वर्ष 2017 से किराये पर ले रखा था. पहले मालवाहक जहाज को उसने निजी तौर पर लिया था. बाद ने उसने मेसर्स सिंह वाहिनी के नाम पर इस कंपनी के माल वाहक जहाज को किराये पर लिया. इसे साहिबगंज से मनिहारी घाट तक चलाया जाता था. इस मालवाहक जहाज के सहारे स्टोन चिप्स लदे ट्रकों को बिहार पहुंचाया जाता था.
दाहू यादव ने मेसर्स मेरीन इंफ्रा लिंक लॉजिस्टिक प्राइवेट लिमिटेड से भी एक मालवाहक जहाज किराये पर ले रखी थी. दाहू ने इस कंपनी से M.V. Infraink 3 माल वाहक जहाज किराये पर लिया था. कंपनी में तीन निदेशक है. निदेशकों में मांगी लाल भुटोरिया, महेश जालान और यश जालान का नाम शामिल है. महेश जालान, यश जालान के पिता है. इडी द्वारा की गयी पूछताछ के दौरान उन्होंने जहाज के सहारे होने वाली सारी वैध अवैध गतिविधियों के लिए अपने बेटे यश जालान को जिम्मेवार ठहराया था. दाहू यादव ने मेरीन इंफ्रा लिंक को 2.75 करोड़ रुपये का भुगतान किया था.
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मामले की जांच के दौरान कंपनी के एक निदेशक मांगी लाल भुटोरिया ने कंपनी के पास M.V. Infraink- 3 मालवाहक जहाज होने और इसे किराये पर देने के लिए दाहू यादव के साथ करार किये जाने की बात स्वीकार की थी. मांगी लाल ने कंपनी को रोजमर्रा के काम काज के खुद को अलग बताया था. लेकिन उन्होंने दूसरे निदेशक यश जालान द्वारा कंपनी की व्यापारिक गतिविधियों के लिए यश जालान को जिम्मेवार बताया. मांगी लाल ने यह भी स्वीकार किया कि दाहू यादव की कंपनी के साथ करार करने का फैसला भी यश जालान ने ही किया था.
इडी ने जांच के दौरान यश जालान के पिता महेश जालान से पूछताछ की और उनका बयान दर्ज किया. महेश जालान ने कंपनी के माल वाहक जहाज के सहारे किसी तरह की अवैध गतिविधि को अंजाम दिये जाने की जानकारी होने से इनकार किया. पूछताछ के दौरान यश जालान ने कंपनी के निदेशक के रूप में काम करने की बात स्वीकार की. दाहू यादव की कंपनी के साथ करार करने और मालवाहक जहाज किराये पर देने की बात स्वीकार की. लेकिन कंपनी के मालवाहक जहाज से अवैध खनिजों की ढुलाई की जानकारी होने से इनकार किया.
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रिपोर्ट में कहा गया कि दाहू यादव ने अवैध खनिजों से लदे मालवाहक जहाज को बगैर किसी रोकटोक के चलाने के उद्देश्य से साहिबगंज-मनिहारी घाटा का फेरी सर्विस का ठेका हासिल किया. ठेका लेने के लिए नव यातायात सहयोग समिति को मुखौटे की तह इस्तेमाल किया. टेंडर में नव यातायात समिति ने हिस्सा लिया. लेकिन पैसा दाहू यादव ने लगाया. फेरी सेवा का ठेका लेने के लिए दाहू ने समिति को 8.25 करोड़ रुपये दिया. इसमें नकदी का एक बड़ा हिस्सा था.पूछताछ के दौरान समिति के हुलास ने दाहू यादव द्वारा ठेका लेने कि लिए पैसा देने की बात स्वीकार की.
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