Search

DCLR खुद दे सकते थे आदेश, CO को भेजा तो स्पष्ट निर्देश जरूरी : HC

Vinit Abha Upadhyay Ranchi :  झारखंड हाईकोर्ट ने पिछले दिनों अपने एक आदेश में कहा है कि जब कोई अपीलीय पदाधिकारी किसी मामले को दोबारा निर्णय के लिए निचली अदालत को भेजता है तो उसे दोषपूर्ण आदेश को स्पष्ट रूप से रद्द करना चाहिए. साथ ही मामले के निष्पादन के लिए समय सीमा भी तय करनी चाहिए, ताकि अनावश्यक विलंब से बचा जा सके. हाईकोर्ट ने यह आदेश एक रिट याचिका की सुनवाई करते हुए दिया, जिसमें गिरिडीह जिले के याचिकाकर्ता मोहम्मद सफराज मिर्जा ने गिरिडीह सीओ द्वारा भूमि का म्यूटेशन नहीं किये जाने के विरुद्ध हाईकोर्ट का रुख किया था. दरअसल सरफराज की म्यूटेशन अर्जी को सीओ ने इस आधार पर खारिज कर दिया कि उन्होंने जरूरी भूमि दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किये थे. सीओ के आदेश को उन्होंने भूमि सुधार उप समाहर्ता (DCLR) गिरिडीह के पास अपील की. DCLR ने इस मामले को फिर से सीओ को सुनवाई कर आदेश पारित करने के लिए भेज दिया. लेकिन सीओ की ओर से सुनवाई में काफी देर की गयी.
सुनवाई के दौरान यह तर्क दिया गया कि DCLR ने जो आदेश पारित किया है, उसमें न तो कोई तारीख थी और न ही यह उल्लेख था कि सर्किल अधिकारी का आदेश रद्द किया गया. जबकि सीओ के पास मामला भेजने के बजाय DCLR खुद आदेश दे सकते थे.
हाईकोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए गिरिडीह DCLR को निर्देश दिया कि आदेश की प्रति प्राप्त होने या प्रस्तुत किये जाने की तारीख से चार सप्ताह के भीतर नया आदेश पारित करें.

Comments

Leave a Comment

Follow us on WhatsApp