Patna: राज्य के 50 फीसद बिल्डरों ने अब भी रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (RERA) को अपने प्रोजेक्ट और कंपनी की पूरी जानकारी नहीं दी है. यह हाल तब है, जब कोरोना के बढ़ते संक्रमण और लॉकडाउन को देखते हुए रेरा अब तक दो बार समय-सीमा बढ़ा चुका है. अब तीसरी बार रेरा ने 15 जून की आखिरी समय-सीमा दी है. इसके बाद भी रियल एस्टेट कंपनियों और बिल्डरों ने हिसाब नहीं दिया तो जुर्माना लगाया जाएगा. नियमानुसार, पूरे प्रोजेक्ट की लागत का पांच से दस फीसद तक जुर्माना वसूला जा सकता है. पटना, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, गया इत्यादि शहरों में करीब सात सौ रियल एस्टेट कंपनियां हैं. रेरा ने इन सबसे 31 मार्च तक बैलेंस शीट और ऑडिट स्टेटमेंट रिपोर्ट मांगी थी. इसके साथ ही सभी से कंपलीशन सर्टिफिकेट और आक्यूपेंसी सर्टिफिकेट भी मांगा गया था. उन्हें यह जानकारी भी देनी थी कि उनके प्रोजेक्ट का काम तय समय पर कितना पूरा हुआ ? प्रोजेक्ट पर कितनी राशि खर्च की गई ? प्रोजेक्ट पूरा होने में और कितना समय लगेगा ?
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मार्च तक करीब तीन सौ कंपनियों और बिल्डरों ने दिया हिसाब
रेरा के अनुसार, मार्च तक करीब तीन सौ कंपनियों और बिल्डरों ने हिसाब दे दिया था. इसके बाद रेरा ने बाकी बिल्डरों को नोटिस भेजा. इसके बाद प्रोजेक्ट का हिसाब देने की समय-सीमा 30 अप्रैल तक बढ़ा दी गई. इसके बाद भी कई बिल्डरों ने हिसाब नहीं दिया. दूसरी तरफ कोरोना का संक्रमण भी बढ़ रहा था. जिसके बाद समय-सीमा एक बार फिर 31 मई तक बढ़ा दी गई. दो बार डेडलाइन बढ़ाने के बावजूद बमुश्किल 50 नए बिल्डरों ने ही अपने प्रोजेक्ट का हिसाब दिया.
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दरअसल रेरा को बड़ी संख्या में शिकायत मिली थी कि कई रियल एस्टेट कंपनियां बुकिंग कर प्रोजेक्ट के नाम पर पैसा ले लेती हैं. लेकिन उस प्रोजेक्ट का काम रोककर उसी राशि से दूसरे प्रोजेक्ट का काम शुरू कर देती हैं. ऐसे में रेरा ने नियम बनाया कि कंपनियां और बिल्डर एक प्रोजेक्ट के लिए एक ही बैंक खाते का इस्तेमाल करें. ग्राहक जिस प्रोजेक्ट के लिए राशि दे रहा है, उसका इस्तेमाल उसी प्रोजेक्ट को पूरा करने में किया जाए.