- पंडरा बाजार समिति में अफसरों ने अवैध कमाई के लिए निकाला नायाब तरीका
- पुराना मामला बता अनियमितता पर पर्दा डालने के प्रयास में जुटे हैं अफसर
Amit Singh
Ranchi: कृषि उत्पादन बाजार समिति, पंडरा कैंपस में दुकान के नाम पर कैंटीन व गार्ड रूम का भी सौदा कर दिया गया है. बाजार समिति के जिम्मेवारों ने अवैध कमाई का नयाब तरीका निकाला है. बाजार समिति परिसर में दुकानों का आवंटन सरकारी आदेश के बाद से बंद है. अफसर पंडरा बाजार समिति कैंपस की दुकानों का आवंटन नहीं कर पा रहे थे. ऐसे में उन्होंने दुकान भवन को छोड़ कर कैंपस के अन्य भवनों का सौदा कर दिया. किसी को पता भी नहीं चला. कोई विज्ञापन भी नहीं निकला और भवनों का सौदा हो गया. अफसर खुद को बचाने के लिए इसे पुराना मामला बता कर अनियमितता पर पर्दा डालने में जुट गए है.
अफसरों ने चहेते व्यापारियों को दे दी दुकानें
पंडरा बाजार समिति कैंपस में पुराने कैंटीन भवन, बिजली मिस्त्री रूम, गार्ड रूम, आलू मंडी के प्लेटफार्म आदि का उपयोग किसान और व्यापारी करते थे. लेकिन जिम्मेवारों ने अवैध कमाई के लिए उक्त भवनों का सौदा कर दिया. व्यापारियों से लाखों की वसूली कर दुकान के नाम पर भवनों का आवंटन कर दिया. भवनों का आवंटन बेहद गोपनीय ढंग से किया गया. भवनों के आवंटन से संबंधित विज्ञापन नहीं निकला गया. व्यापारियों से आवेदन तक जमा नहीं कराए गए. अफसरों ने अपने चहेते व्यापारियों को दुकान का आवंटन अवैध तरीके से कर दिया है.
सहमति प्रदान करने के नाम पर अवैध वसूली
पंडरा बाजार समिति परिसर में काेई व्यापारी अपने नाम से आवंटित दुकानों को खुद नहीं बेच सकता है. दुकान बेचने या आवंटित करने का काम पंडरा बाजार समिति का है. लेकिन व्यापारी बाजार समिति के अफसरों के साथ मिलकर करोड़ों में दुकानों का सौदा कर रहे हैं. पिछले कुछ माह में 37 दुकानों का सौदा करोड़ों में हुआ है. करोड़ों के इस सौदे का फायदा अफसर उठा रहे हैं. सिर्फ दुकानों के सौदे की सहमित देकर अफसर मालामाल हो रहे हैं.
जानिए कैसे हो रहा है दुकानों का सौदा
पंडरा बाजार समिति की दुकानों का सौदा कोई व्यापारी अपने स्तर से नहीं कर सकता है. बाजार समिति कैंपस की दुकानों को सिर्फ और सिर्फ बाजार समिति के माध्यम से ही बेचने का नियम है. जिस व्यापारी को अपने नाम से आवंटित दुकान हटानी है, तो उसे दुकान को समिति के पास सरेंडर करना होता है. सरेंडर दुकान को विज्ञापन के माध्यम से आवंटित किया जाता है. मगर पंडरा के अफसर अवैध कमाई के लिए सरकारी नियमों को दरकिनार कर दिया है. जिस व्यापारी को दुकान बेचना होती है, वह खरीदार के साथ एक समझौता पत्र तैयार करता है. पार्टनरशिप से संबंधित कागजात तैयार होता है. दुकान खरीदने वाले को 80 प्रतिशत और बेचने वाले को 20 प्रतिशत का हिस्सेदार बताया जाता है. इसके बाद कम प्रतिशत का हिस्सेदार दुकानदार समझौता पत्र के माध्यम से बाजार समिति को अवगत कराते हुए बड़े शेयर होल्डर को दुकान समर्पित करने की बात कहता है. और इसके लिए बाजार समिति से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) हासिल करता है. एनओसी लेने के बाद दुकान समझौता पत्र के अनुसार बड़े शेयर होल्डर का हो जाता है.
अफसर एनओसी के नाम पर कर रहे वसूली
यहां बता दें कि जिन दुकानों का अवैध सौदा समझौता पत्र के आधार पर हुआ है, उनमें से एक भी खरीदार (बड़ा शेयर होल्डर) ने अपने पार्टनर के साथ किसी तरह का व्यापार नहीं किया है. बाजार समिति के अफसरों को भी यह पता है. लेकिन अफसर खमोश रहते हुए एनओसी प्रदान करने के लिए लाखों की वसूली कर रहे हैं. जिन 37 दुकानों का सौदा समझौता पत्र के माध्यम से हुआ है, उसकी जांच हो जाए, तो पता चलेगा कि ज्यादातर दुकान लेनेवालों ने कभी पंडरा में करोबार ही नहीं किया है.
सरकारी दुकानों की बनावट में बिना अनुमति कर रहे परिवर्तन
बाजार समिति कैंपस में कई ऐसी दुकानें भी हैं, जिसकी बनावट में बिना किसी अनुमति के ही बदलाव कर दिया गया है. ऐसी दुकानें भी बाजार समिति के अफसरों के लिए कमाई का जरिया बन गयी हैं. अफसर दुकानों की बनावट में बदलाव करने के एवज में भी अवैध वसूली कर रहे हैं.
किसका किया सौदा किसने लिया
पुराना कैंटीन भवन, पार्ट-2 जीतेंद्र शर्मा, ओम साईं ट्रेडर्स
कैंटीन भवन, पार्ट-1 ए एसएस ट्रेडर्स
बिजली मिस्त्री रूम (के 88) संजय मुरारका, बिमल मसाला
ओल्ड गार्ड रूम (के78) पंकज चौधरी
आलू मंडी, (पी-4) बाला जी इंटरप्राइजेज
पुराना मामला है, जानकारी देने के लिए अधिकृत नहीं हूं
पंडरा बाजार समिति परिसर की दुकनों से संबंधित जो मामला संज्ञान में लाया गया है, वह मेरे कार्यकाल का नहीं है. पुराना मामला है. अन्य मामलों की जांच वर्तमान में पर्षद स्तर से चल रही है. विशेष जानकारी देने के लिए मैं अधिकृत नहीं हूं.
उत्तम कुमार, सचिव,कृषि उत्पादन बाजार समिति, पंडरा
व्यापारियों के लिए किसी तरह की सुविधा नहीं
पंडरा बाजार समिति परिसर में व्यापारियों के लिए किसी तरह की सुविधा नहीं है. पूर्व में यहां शौचालय, विश्रामगृह आदि की सुविधा थी. किसानों के लिए विशेष परिसर था, लेकिन वह सारा कुथ समाप्त हो गया. परिसर में मुलभूत सुविधाओं का अभाव है.
संतोष सिंह, व्यापारी प्रतिनिधि, पंडरा बाजार समिति