New Delhi : कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट न्यायालय ने सरकार द्वारा प्रमुख विधेयकों को धन विधेयक के तौर पर पारित कराने को चुनौती देने वाली उनकी याचिकाओं पर सुनवाई के लिए पीठ का गठन किया है और उन्हें उम्मीद है कि इस मामले में जल्द फैसला आयेगा. उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का संसद के कामकाज पर दूरगामी असर होगा. सुप्रीम कोर्ट ने आज गुरुवार को कहा कि वह नौ न्यायाधीशों और सात न्यायाधीशों की पीठ के कई मामलों में एक साझा आदेश पारित करेगा, ताकि उन्हें सुनवाई के लिए तैयार किया जा सके. कहा कि इन मामलों में धन संबंधी विधेयक और विधायकों को अयोग्य ठहराने के विधानसभा अध्यक्ष की शक्ति संबंधी मामले भी शामिल हैं. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति जे बी परदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने सात न्यायाधीशों वाले छह और नौ न्यायाधीशों वाले चार मामलों पर विचार किया. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
मोदी जी,
एक आम भारतीय के जन्म से लेकर उसकी जीवन के अंत तक मोक्षदायिनी माँ गंगा का महत्त्व बहुत ज़्यादा है।
अच्छी बात है की आप आज उत्तराखंड में हैं, पर आपकी सरकार ने तो पवित्र गंगाजल पर ही 18% GST लगा दिया है।
एक बार भी नहीं सोचा कि जो लोग अपने घरों में गंगाजल मँगवाते हैं,… pic.twitter.com/Xqd5mktBZG
— Mallikarjun Kharge (@kharge) October 12, 2023
धन विधेयक कानून केवल लोकसभा में पेश किया जा सकता है
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने छह अक्टूबर को कहा था कि वह आधार अधिनियम जैसे कानून को धन विधेयक के रूप में पारित करने की वैधता के मुद्दे पर विचार करने के लिए सात न्यायाधीशों की पीठ का गठन करेगा. इस संबंध में सुनवाई का उद्देश्य धन विधेयक से जुड़े विवाद का समाधान करना है. धन विधेयक कानून का एक हिस्सा है जिसे केवल लोकसभा में पेश किया जा सकता है. और राज्यसभा इसमें संशोधन या इसे अस्वीकार नहीं कर सकती है. उच्च सदन केवल सिफारिशें कर सकता है जिन्हें निचला सदन स्वीकार भी कर सकता है और नहीं भी.
फैसले का संसद के कामकाज पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा
पहली याचिका छह अप्रैल, 2016 को दायर की गयी थी क्योंकि राज्यसभा को प्रमुख कानूनों में संशोधनों पर चर्चा करने या पारित करने के अवसर से वंचित किया गया. उदाहरण के तौर पर इनमें आधार विधेयक, राष्ट्रीय हरित अधिकरण सहित कई न्यायाधिकरणों की शक्तियों को कमजोर करने वाला विधेयक और धन शोधन विरोधी अधिनियम को और अधिक कठोर बनाने वाला विधेयक शामिल हैं. उन्होंने कहा, ‘उम्मीद है कि इस संबंध में अंतिम फैसला जल्द आयेगा और इसका संसद के कामकाज पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा.