New Delhi : अरावली हिल्स की परिभाषा के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया है. स्वत: संज्ञान लेते हुए SC ने अहम मुद्दे पर आज सोमवार को सुनवाई की. सीजेआई सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच ने सुनवाई की.
#WATCH | Supreme Court has “put in abeyance” its earlier decision (issued on November 20) to accept the Central Environment Ministry’s definition of Aravalli Hills and Aravalli Range.
— ANI (@ANI) December 29, 2025
Congress MP Jairam Ramesh says, "For the last few days, the environment minister was accusing… pic.twitter.com/xk38uevkxr
बेंच में जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह भी शामिल थे. अहम खबर यह है कि सीजेआई की अगुआई वाली बैंच ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले में दिया गया पूर्व का फैसला फिलहाल स्थगित कर दिया है.
तीन जजों की पीठ ने केंद्र सरकार, दिल्ली, हरियाणा, राजस्था्न सहित अन्य संबंधित राज्यों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता इस मामले में कोर्ट की सहायता कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई की तिथि 21 जनवरी 2026 तय कर दी है.
दरअसल 20 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पहाड़ियों और श्रेणियों (रेंज) की एक समान और वैज्ञानिक परिभाषा पर मुहर लगा दी थी.
इस क्रम में दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में फैले अरावली क्षेत्र में विशेषज्ञों की रिपोर्ट आने तक किसी भी प्रकार की नयी खनन लीज देने पर रोक लगा दी थी.
मामला यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC)की समिति की सिफारिशें मानते हुए कहा था कि दुनिया की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखलाओं में शामिल अरावली की रक्षा के लिए स्पष्ट और वैज्ञानिक परिभाषा बेहद जरूरी है.
समिति का कहना था कि अरावली क्षेत्र में स्थित कोई भी भू-संरचना जिसकी ऊंचाई जमीन से 100 मीटर या उससे अधिक हो, उसे अरावली पहाड़ी माना जायेगा. इसके अलावा 500 मीटर के दायरे में स्थित दो या उससे अधिक पहाड़ियां अरावली रेंज की श्रेणी में शामिल की जायेंगी.
कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा कि पिछले कुछ दिनों से पर्यावरण मंत्री मुझ पर और राजस्थान के तीन बार मुख्यमंत्री रहे अशोक गहलोत पर अरावली के पुनर्निर्धारण के मुद्दे पर राजनीति करने का आरोप लगा रहे थे.
आज सुप्रीम कोर्ट में मामला स्पष्ट हो गया है. उन्होंने कहा कि राजस्थान के 19 जिले जहां से पर्यावरण मंत्री आते हैं, वह सरिस्का रिजर्व और अरावली में महत्वपूर्ण बाघ निवास की सीमाओं को फिर से बनाने में व्यस्त हैं, वह अशोक गहलोत और मुझ पर राजनीति करने का आरोप लगा रहे थे और आज सुप्रीम कोर्ट में उनका पर्दाफाश हो गया है.
इससे पूर्व जयराम रमेश ने100 मीटर या उससे अधिक की ऊंचाई को अरावली पहाड़ी माना जाने को लेकर कहा था कि केंद्र सरकार अब उन्हीं अरावली पर्वतमालाओं की रक्षा करेगी, जिनकी ऊंचाई 100 मीटर से अधिक है.
उन्होंने कहा था कि भारतीय वन सर्वेक्षण के आधिकारिक आंकड़ों पर नजर डालें तो अरावली पर्वतमाला का केवल 8.7 प्रतिशत भाग ही 100 मीटर से अधिक ऊंचा है.
अरावली पर्वतमाला का 90 प्रतिशत से अधिक भाग नयी परिभाषा के अंतर्गत संरक्षित नहीं हो सकता.
यह खनन, रियल एस्टेट और अन्य गतिविधियों के लिए खोला जा सकता है. नयी नीति खनन माफिया के अनुकूल है. वे ज्यादा सक्रिय होकर अरावली में खनन करेंगे और पारस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचायेंगे.
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