Adityapur : आपको आज मिली उपाधि महज रोजगार साधन के लिए नहीं बल्कि भारत को आत्म निर्भर बनाने की दिशा में इनोवेशन करने के लिए मिली है. इस सोच के साथ आगे बढ़ें और देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में इनोवेशन करें. उक्त बातें केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने एनआइटी जमशेदपुर के 11वें दीक्षांत समारोह में कही. श्री मुंडा ने सिविल इंजीनियरिंग के छात्र बिट्टू कुमार और पोस्ट ग्रेज्युएट की छात्रा वाई वाहिनी को गोल्ड मेडल प्रदान किया. वहीं उन्होंने सभी 16 ब्रांच के टॉपरों को सिल्वर मेडल प्रदान करते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना भी की.
इनोवेशन पर खर्च करने के लिए 76 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान
अर्जुन मुंडा ने कहा कि पिछली कैबिनेट में केंद्र सरकार ने 76 हजार करोड़ रुपये इसी तरह के इनोवेशन पर खर्च करने के लिए स्वीकृत किया है ताकि हम विज्ञान और टेक्नोलॉजी, सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सकें। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत महज एक राजनीतिक स्लोगन नहीं बल्कि स्पंदन है, देश के 130 करोड़ लोगों के हृदय की आवाज है। उन्होंने छात्रों के समक्ष उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि कोविड-19 के मामले में भारत ने अपनी खुद की वैक्सीन बनाकर यह साबित कर दिया है अब भारत वह भारत नहीं रहा जब यहां पोलियो की वैक्सीन 10 वर्ष बाद पहुंची थी। समारोह के दौरान छात्रों व अभिभावकों को केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का आशीर्वचन भी सुनाया गया जो उन्होंने संस्थान व छात्रों के लिए रिकॉर्ड कर भेजा था। । बता दें कि 11 वें दीक्षांत समारोह में संस्थान की ओर से इस वर्ष कुल 904 छात्रों को सर्टिफिकेट मिला है। जिनमें 587 बीटेक, 145 एमटेक, 84 एमसीए व 16 पीएचडी के छात्रों को प्रमाण पत्र दिया गया। संस्थान के द्वारा कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुए करीब 400 छात्रों को प्रमाण पत्र लेने के लिए संस्थान द्वारा आमंत्रित किया गया था।
वैश्विक त्रासदी में बेहतर प्लेसमेंट संस्थान की बड़ी उपलब्धि
मीडियाकर्मियों से बात करते हुए श्री मुंडा ने कहा वैश्विक त्रासदी के दौर में इतना बढ़िया कैंपस सेलेक्शन मिलना अपने आप में उत्कृष्ट प्रदर्शन है। उन्होंने कहा कि इस साल संस्थान से पासआउट 85 फीसदी छात्रों का देश विदेश के अलग-अलग संस्थानों में कैंपस सेलेक्शन हुआ है। छह छात्रों को 57 लाख की वार्षिक सैलरी पर विदेशी कंपनी एटलासियान ने लॉक किया है, जो एक रिकॉर्ड है। साथ ही 40 से 50 लाख के बीच की वार्षिक सैलरी पर 42 छात्र, 30 से 40 लाख के बीच की वार्षिक सैलरी पर 65 छात्र, 20 से 30 लाख के बीच के वार्षिक सैलरी पर 120 छात्रों को बड़ी- बड़ी कंपनियों ने सेलेक्ट किया है। अब तक कंप्यूटर साइंस के 97, सिविल के 80, इलेक्ट्रिकल के 84, इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन के 96, मैकेनिकल के 89, प्रोडक्शन एंड इंडस्ट्रियल के 72, मेटलर्जिकल के 81 व एमसीए के 92 छात्रों का प्लेसमेंट हो चुका है। यह संस्थान की बड़ी उपलब्धि है।
शोध के क्षेत्र में जाना चाहते हैं गोल्डमेडलिस्ट बिट्टू कुमार व वाई. वाहिनी
बीटेक के ग्रेजुएट में टॉपर छात्र बिट्टू कुमार ने गोल्ड मेडल पाने के बाद कहा कि वो सिविल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में शोध करना चाहते हैं। अभी उन्हें टाटा स्टील में जॉब मिला है लेकिन ये उसकी मंजिल नहीं है। बताया कि झारखंड के रांची में इनका पैतृक आवास है। मेरे पिता बिहार सरकार में अधिकारी हैं। वे उसे सफल सिविल इंजीनियर बनाना चाहते थे और उसने गोल्ड मेडल पाकर साबित कर दिया। वहीं पोस्ट ग्रेजुएट की गोल्डमेडलिस्ट वाई. वाहिनी ने कहा कि वह इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में शोध करना चाहती है। वह आंध्र प्रदेश के एक किसान परिवार से है।