NewDelhi : दिल्ली विधानसभा के स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ने आज मंगलवार को हंगामा कर रहे आम आदमी पार्टी के हंगामे के कारण उसके 21 विधायकों को तीन दिनों के लिए सस्पेंड कर दिया है. अब विपक्षी आम आदमी पार्टी के 21 विधायक सोमवार तक सदन की कार्यवाही में शामिल नहीं हो पायेंगे अमानतुल्लाह खान आज विधानसभा में अनुपस्थित थे इस कारण निलंबन से बच गये.
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आतिशी समेत आप विधायकों ने विस परिसर में प्रदर्शन किया
दिल्ली विधानसभा से निलंबित नेता प्रतिपक्ष आतिशी समेत आप विधायकों ने विधानसभा परिसर में प्रदर्शन किया. एक खबर और कि दिल्ली विधानसभा की कार्यवाही तीन दिनों के लिए बढ़ा दी गयी है. विधानसभा की आज की कार्यवाही हंगामे के साथ शुरू हुई. उपराज्यपाल के अभिभाषण के बीच में ही आम आदमी पार्टी के विधायक हंगामा करने लगे. इसके बाद स्पीकर ने आतिशी समेत आप के विधायकों को विधानसभा से बाहर कर दिया.
एलजी के अभिभाषण के दौरान उन्होंने बेहद असंवैधानिक व्यवहार किया
स्पीकर विजेंदर गुप्ता ने कहा, सीएजी रिपोर्ट पेश हो चुकी है. सभी सदस्य इस पर चर्चा चाहते हैं. चर्चा 27 फरवरी को भी जारी रहेगी. बाद में इसे आगे की कार्रवाई के लिए लोक लेखा समिति के पास भेजा जायेगा. कहा कि भविष्य में सीएजी रिपोर्ट के अन्य खंड भी पेश किये जायेंगे. विधानसभा में हंगामे के बाद आप विधायकों के निलंबन पर कहा कि एलजी के अभिभाषण के दौरान उन्होंने बेहद असंवैधानिक व्यवहार किया. सदन की गरिमा बनाए रखना सबसे महत्वपूर्ण है. उनका व्यवहार निंदनीय है. कहा कि उनका निलंबन तीन बैठकों 25, 27 और 28 फरवरी तक किया गया है.
सीएम रेखा गुप्ता ने शराब घोटाले पर CAG की रिपोर्ट पेश की
दिल्ली विधानसभा में पेश नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में दिल्ली की आबकारी नीति और शराब की आपूर्ति से जुड़े नियमों के कार्यान्वयन में गंभीर खामियां सामने आयी है. रिपोर्ट के अनुसार कई अनियमितताओं के कारण सरकार को लगभग 2,026.91 करोड़ का नुकसान हुआ. इस घोटाले को लेकर आज कई बड़े खुलासे CAG की रिपोर्ट में हुए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि गलत फैसलों की वजह से सरकार के राजस्व को भारी नुकसान झेलना पड़ा. मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने शराब घोटाले पर CAG की रिपोर्ट पेश की है.
शराब लाइसेंस जारी करने में नियमों का उल्लंघन
कैग की रिपोर्ट के अनुसार आबकारी विभाग ने लाइसेंस जारी करने के संदर्भ में नियमों का सही तरीके से पालन नहीं किया. दिल्ली आबकारी नियम, 2010 के नियम 35 कहता है कि एक ही व्यक्ति या कंपनी को अलग-अलग प्रकार के लाइसेंस (थोक, खुदरा, होटल-रेस्तरां) नहीं दिये जा सकते. जांच में पाया गया कि कुछ कंपनियों को एक साथ कई प्रकार के लाइसेंस दिये गये.
आबकारी विभाग ने बिना जरूरी जांच किये ही लाइसेंस जारी कर दिये : कई मामलों में आबकारी विभाग ने बिना जरूरी जांच किये ही लाइसेंस जारी कर दिये. वित्तीय स्थिरता, बिक्री और कीमतों से जुड़े दस्तावेज, अन्य राज्यों में घोषित कीमतें, और आवेदकों के आपराधिक रिकॉर्ड की जांच जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं को दरकिनार किया गया. कुछ कंपनियों ने शराब व्यापार में कार्टेल बनाने और ब्रांड प्रमोशन के लिए अपनी हिस्सेदार छुपाने के लिए प्रॉक्सी मालिकाना हक का सहारा लिया.
मनमाने ढंग से तय की गयी कीमत : रिपोर्ट के अनुसार थोक विक्रेताओं को शराब की फैक्ट्री से निकलने वाली कीमत तय करने की स्वतंत्रता दी गयी. इस कारण कीमतों में हेरफेर की गयी. एक ही कंपनी द्वारा विभिन्न राज्यों में बेची जाने वाली शराब की कीमत अलग-अलग तय की गयी.
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