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दिल्ली चुनाव : कांग्रेस जीत नहीं सकती, पर जिता या हरा जरूर सकती है

Surjit Singh दिल्ली विधानसभा का चुनाव परिणाम आ गया है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को स्पष्ट बहुमत मिला है. आम आदमी पार्टी (आप) बुरी तरह पराजित हुई है. परिणाम के आंकड़े बता रहे हैं कि भाजपा ने जितने अधिक सीटों पर जीत दर्ज की, आप को उतने अधिक सीट का नुकसान हुआ. यानी दिल्ली में ना कांग्रेस पहले थी और ना अब. इस टिप्पणी को लिखते वक्त परिणाम के जो आंकड़े सामने हैं, उसके मुताबिक भाजपा 47-48 सीटों पर जीत दर्ज कर रही है, जबकि आप को 22-22 सीटों पर जीत मिलती नजर आ रही है. पिछले विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस को कोई सीट नहीं मिला थी, इस बार भी कांग्रेस को कोई सीट नहीं मिली है. इस चुनाव परिणाम के बाद दो बातें स्पष्ट हो गयी है. केजरीवाल के अहंकार ने उनकी लुटिया डुबो दी. लोकसभा चुनाव के बाद इंडिया गठबंधन और खास कर कांग्रेस से अलग होना, उनकी हार का सबसे बड़ा कारण बना है. ना सिर्फ उनकी पार्टी हारी, बल्कि वह खुद हार गये. शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया हार गये. मुख्यमंत्री अतिशी पर हार का खतरा मंडरा रहा था, लेकिन उन्होंने रमेश बिधूड़ी को हराकर जीत हासिल की. वोट प्रतिशत को देखें तो भाजपा को 47.17 प्रतिशत वोट मिले हैं, जबकि आप को 43.02 प्रतिशत. वहीं कांग्रेस ने 6.51 प्रतिशत वोट हासिल किये हैं. मतलब अगर आप ने कांग्रेस से दूरी नहीं बढ़ायी होती, चुनाव में इंडिया गठबंधन में साथ रहे दोनों दल साथ होते, एक-दूसरे के खिलाफ प्रचार नहीं करते तो शायद हालात अलग होते. कुल मिलाकर दिल्ली चुनाव के कुछ संदेश साफ है. पहला यह कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा अब भी अपराजेय है. दूसरा यह कि कांग्रेस पार्टी चुनाव में भले ही जीत दर्ज नहीं कर सकती, लेकिन भाजपा को जिता जरूर सकती है या दूसरे शब्दों में कहें तो भाजपा विरोधी सत्ताधारी पार्टी को हरा जरूर सकती है.

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