Imphal : मणिपुर में तीन मई को हुई हिंसा की आग अभी बुझी नहीं है. इसको लेकर मणिपुर के कुकी, जोमी, हमार और मिजो समुदाय के लोग आज बुधवार को दिल्ली पहुंच गये हैं. यहां वे गृह मंत्री अमित शाह के आवास के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शन कर रहे लोगों में महिलाओं की संख्या अधिक है. सभी अमित शाह से मिलना चाहते हैं और राज्य की स्थिति के बारे में बताना चाहते हैं. हालांकि प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने घर के बाहर ही बैरिकेडिंग करके रोक दिया है. प्रदर्शनकारियों को पुलिस अधिकारियों ने समझाया-बुझाया और उनकी बात गृह मंत्री तक पहुंचाने का आश्वासन भी दिया. इसके बावजूद वो नहीं समझे और पोस्टर लेकर अमित शाह के घर के बाहर खड़े हैं. (पढ़ें, वन संरक्षण संशोधन विधेयक-2023, लोगों की चिंता बरकरार)
जनजातीय एकता मार्च’ के बाद जातीय हिंसा भड़की
दरअसल इंफाल घाटी और उसके आसपास मेइती समुदाय के लोगों की संख्या अधिक है. वहीं, पहाड़ियों में कुकी जनजाति के लोग अधिक बसे हैं. आरक्षित वन भूमि से कुकी ग्रामीणों को बेदखल करने को लेकर पहले से दोनों समुदाय के बीच तनाव था. मेइती समुदाय ने अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग को लेकर जनजातीय एकजुटता मार्च निकाला था. इस जनजातीय एकता मार्च’ के बाद ही यहां जातीय हिंसा भड़क उठी थी. इस हिंसा में 80 से अधिक लोगों की जान गयी है. हजारों लोग विस्थापित भी हुए हैं. कई हजार घरों को जला दिया गया.मणिपुर लगभग एक महीने से जातीय हिंसा से प्रभावित है और राज्य में इस दौरान झड़पों में इजाफा देखा गया है.
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हिंसा की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन
पुलिस ने उग्र भीड़ को कंट्रोल करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े. लेकिन हालात को संभालना मुश्किल हो गया. बाद में बिगड़ते हालात को संभालने के लिए इलाके में सेना और पैरामिलिट्री फोर्स तैनात किये गये. हिंसा के बाद गृहमंत्री अमित शाह ने मणिपुर का दौरा किया था. उन्होंने अलग-अलग समुदायों के साथ बैठक कर राज्य में शांति बहाली की अपील की थी. साथ ही हिंसा की जांच के लिए गुवाहाटी हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अजय लांबा की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग का गठन किया था.
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