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दिल्ली दंगा : उमर खालिद, शरजील समेत अन्य को SC से फिलहाल राहत नहीं, जमानत याचिका पर अब 3 को सुनवाई

Lagatar Desk :  दिल्ली में साल 2020 में हुए दंगे मामले में जेल में बंद आरोपियों शरजील इमाम, उमर खालिद, मीरान हैदर और गुल्फिशा फातिमा की जमानत याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई.

 

जस्टिस अरविंद कुमार और एन वी अंजिरिया की बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुनवाई को 3 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दिया. अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई 3 नवंबर को करेगा.

 

उमर खालिद की ओर से कपिल सिब्बल की दलील

उमर खालिद की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि दंगों के वक्त उमर दिल्ली में मौजूद ही नहीं था.  उन्होंने सवाल उठाया कि जब वह वहां नहीं थे, तो दंगों से उनका नाम कैसे जोड़ा जा सकता है? सिब्बल ने यह भी बताया कि इस मामले में 751 एफआईआर दर्ज की गईं, जिनमें से उमर को केवल एक केस में आरोपी बनाया गया है.

 

गुल्फिशा फातिमा की ओर से वकील ने दी दलीलें

गुल्फिशा फातिमा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी. उन्होंने कोर्ट में ककहा कि  कि गुल्फिशा फातिमा को अप्रैल 2020 यानी 5 साल 5 महीने से जेल में रखा गया है. चार्जशीट 16 सितंबर 2020 को ही दायर की गई थी. इसके बाद हर साल एक नई पूरक चार्जशीट दाखिल की जा रही है.

 

सिंघवी ने कहा कि यह अब एक वार्षिक परंपरा बन गई है. मामला लटकाया जा रहा है. अक्टूबर 2024 तक 939 गवाह पेश किए जा चुके हैं, लेकिन अब तक आरोप तय नहीं हो पाए हैं. सुनवाई में भी लगातार देरी हो रही है. समानता के आधार पर गुल्फिशा जमानत की हकदार हैं. साथ ही वह एक महिला हैं, इस पहलू पर भी विचार होना चाहिए.

शरजील इमाम की ओर से रखा गया पक्ष

शरजील इमाम के वकील सिद्धार्थ दवे ने कहा कि जांच पूरी करने में ही तीन साल लग गए और मुकदमा आगे नहीं बढ़ सका, क्योंकि पुलिस बार-बार कहती रही कि जांच अभी जारी है.

 

फटकार के बाद दिल्ली पुलिस ने दाखिल किया हलफनामा

इससे पहले गुरुवार को  सुप्रीम कोर्ट द्वारा फटकार लगाये जाने के बाद दिल्ली पुलिस ने हलफनामा दाखिल किया था. पुलिस ने अपने हलफनामे में कहा है कि 2020 के दिल्ली दंगे रिजीम चेंज के ऑपरेशन थे.

 

दिल्ली पुलिस के अनुसार, 2020 के दिल्ली दंगे कोई आकस्मिक हिंसा नहीं थे, बल्कि यह एक सुनियोजित साजिश थी, जिसका उद्देश्य केंद्र सरकार को अस्थिर करना और देशभर में हिंसा फैलाना था.

 

दाखिल हलफनामे में पुलिस ने कहा कि यह हिंसा देश को कमजोर करने की कोशिशथी, जिसके तहत कई जगहों पर प्रदर्शन और दंगे एक समन्वित योजना के तहत कराए गए. 

 

दिल्ली पुलिस ने अपने हलफनामे में दिल्ली दंगों की साजिश रचने के आरोप में उमर खालिद, शरजील इमाम, मीरान हैदर, गुलफिशा फातिमा और अन्य लोगों की जमानत का विरोध किया है.

 

पुलिस ने कहा कि जांचकर्ताओं ने आरोपियों को सांप्रदायिक आधार पर रची गयी एक गहरी साजिश से जोड़ने वाले प्रत्यक्ष दस्तावेजी और तकनीकी सबूत जुटाये हैं. पुलिस के अनुसार, नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) के खिलाफ असहमति को हथियार बनाकर भारत की संप्रभुता और अखंडता पर हमला करने की साजिश रची गयी थी.


आरोपियों का मकसद CAA को एक मुस्लिम विरोधी कानून बता कर अशांति फैलाना था. यह साज़िश अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे के समय रची गयी थी. इसका मकसद अंतरराष्ट्रीय ध्यान खींचना था.


 
अपने हलफनामें में पुलिस ने दावा किया है कि आरोपियों ने निचली अदालत को आरोप तय करने और ट्रायल शुरू करने से रोकने के लिए प्रक्रिया का खुलेआम दुरुपयोग  किया. कार्यवाही में देर जांच एजेंसियों की वजह से नहीं, बल्कि खुद आरोपियों के कारण हुई है.

 

पुलिस ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) का हवाला देते हुए कोर्ट से कहा कि ऐसे गंभीर आतंकवाद से जुड़े अपराधों के लिए जेल,  बेल नहीं...का ही नियम है. 

 

हाईकोर्ट पहले ही कर चुका है जमानत खारिज

इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट सभी आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर चुका है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि विरोध प्रदर्शन के नाम पर हिंसा और षड्यंत्रकारी गतिविधियों को किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता.  

 

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