छत्तीसगढ़ के जशपुर में हुई जनजाति सुरक्षा मंच की बैठक
Ranchi: धर्मांतरण कर चुके पूरे देश भर के आदिवासियों को डीलिस्टिंग करने की मांग अब तेज हो गयी है. झारखंड के बाद जनजाति सुरक्षा मंच की बैठक रविवार को छत्तीसगढ़ के जशपुर में राष्ट्रीय संयोजक गणेण राम भगत के आवासीय कार्यालय में हुई. बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि जब तक धर्मांतरित आदिवासियों को आरक्षण से वंचित करने के लिए आंदोलन तेज होगा. जनजाति सुरक्षा मंच दिल्ली कूच करने की तैयारी में जुट गया है. अब देश के सभी सांसदों का होगा घेराव और सभी राज्यों में जन आंदोलन होगा. मंच की बैठक छत्तीसगढ़, झारखंड और उड़ीसा के संयुक्त कार्यकर्ताओं की बैठक होगी. इस बैठक में रौशन प्रताप सिंह, पिंकी खोया, सन्नी उरांव, हिंदुआ उरांव, जगरन्नाथ भगत, करूण भगत, मनोज भगत ,हरि नागवंशी , अनिता भगत ,सतंम राम भगत ,शुशीला भगत, अनिल कुमार भगत , सरस्वती देवी संतोषी भगत ,रामू महाराज, भोला गुरू जी, अग्नेश्वरी भगत सहित बड़ी संख्या में जनजाति सुरक्षा मंच के महिला -पुरुष हिस्सा लिया.
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धर्मांतरण की चपेट में झारखंड, ओडिशा और छत्तीसगढ़ : गणेश राम भगत
जनजाति सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय संयोजक गणेश राम भगत ने कहा कि जनजाति सुरक्षा मंच द्वारा चलाए जा रहे डीलिस्टिंग अभियान पूरे भारत देश में वृहद आंदोलन का रूप ले चुका है. छत्तीसगढ़, उड़ीसा, झारखंड धर्मांतरण की चपेट में है. यह एक गंभीर चिंता है. सभी राज्यों के सामाजिक कार्यकर्ताओं को एकजुट होकर आने वाले समय में एक नए संघर्ष की ओर आगे बढना है. डीलिस्टिंग का मांग मूल आदिवासी जनजातियों का मौलिक अधिकार है. सरकार से मांग है भारतीय संविधान के अनुच्छेद 342 में संशोधन करके धर्मांतरित हो चुके लोगों का एसटी के नाम पर मिलने वाला आरक्षण अविलंब बंद करें. आदिवासियों की समस्या में धर्मांतरण एक प्रमुख समस्या : संदीप उरांव
जनजाति सुरक्षा मंच के क्षेत्रीय संयोजक संदीप उरांव ने कहा कि जनजाति समाज में बहुत सारी समस्याएं हैं, जिसमें प्रमुख समस्या धर्मांतरण हैं. धर्मांतरण के कारण जनजाति समाज का अस्तित्व अस्मिता और उनकी पहचान खतरे में है. इसी संदर्भ के कारण जनजाति सुरक्षा मंच डीलिस्टिंग की मुहिम को पूरे देश भर में आंदोलन खड़ा किया है. आने वाला भविष्य में इस आंदोलन को और धारदार किया जाएगा.