Ranchi: स्व. फादर स्टेन स्वामी के दूसरे शहादत दिवस के मौके पर राजभवन के समक्ष बुधवार को श्रद्धांजलि सह संकल्प सभा का आयोजन किया गया. शहीद फादर स्टेन स्वामी न्याय मोर्चा के द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में रांची समेत विभिन्न ज़िलो से अनेक सामाजिक कार्यकर्ताओं व विभिन्न संगठनों व राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. सभा में वक्ताओं ने एक स्वर में स्वामी के हत्यारों को सजा दिलाने की मांग की. कहा गया कि स्टेन स्वामी को 2018 से भीमा-कोरेगांव मामले में फर्जी आरोपों पर एवं दमनकारी कानून यूएपीए अंतर्गत प्रताड़ित किया गया. पहले भाजपा-शासित महाराष्ट्र सरकार के पुणे पुलिस द्वारा और फिर मोदी सरकार की जांच एजेंसी एनआईए द्वारा. 8 अक्टूबर 2020 को बगईचा, रांची से उन्हें रात के अंधेरे में गिरफ्तार कर के मुंबई ले जाया गया. जहां उन्हें तलोजा जेल में न्यायिक हिरासत में रखा गया. उस दौरान उनकी बेल के आवेदन को कई बार रद्द किया गया और बुनियादी स्वास्थ्य सुविधा तक उपलब्ध नही करवाई गयी. सभा को अलोका कुजूर, अमल आजाद, भरत भूषण चौधरी, बिंदे सोरेन, भुवनेश्वर केवट, दयामनी बारला, गौतम बोस, निरंजना हेरेंज, प्रफुल लिंडा, पीएम टोनी, शशि वर्मा, सुषमा बिरुली, एसके राय, टॉम कावला समेत कई वक्ताओं ने संबोधित किया. संचालन एलिना होरो व तारामनी साहु एवं धन्यवाद ज्ञापन सिस्टर लीना द्वारा किया गया.
फर्जी दस्तावेज के आधार पर फादर को फंसाया गया
वक्ताओं ने कहा कि एनआईए द्वारा स्टेन स्वामी के कंप्यूटर से माओवादियों के साथ संपर्क और प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश सम्बंधित दस्तावेज़ कथित रूप से बरामद किए गए थे. स्टेन ने लगातार कहा था कि दस्तावेज़ फ़र्ज़ी हैं. उन्हें इनकी जानकारी नहीं है. अंतरराष्ट्रीय डिजिटल शोध संस्था (आर्सेनल) ने प्रमाणित किया है कि इन दस्तावेजों समेत 44 दस्तावेजों को स्टेन के कंप्यूटर में हैकरों द्वारा बाहर से डाला गया था. यह भी प्रमाणित हुआ है कि महाराष्ट्र पुलिस को इसकी जानकारी थी. आज तक केस का ट्रायल तक नहीं हुआ
वक्ताओं ने कहा कि भीमा कोरेगांव केस मोदी सरकार द्वारा प्रायोजित एक आधारहीन और फर्जी मुकदमा है, जिसका उद्देश्य सिर्फ देश के शोषित और वंचित वर्ग के पक्ष की बात रखने वालों और सरकार की जन-विरोधी नीतियों पर सवाल करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों व वकीलों को प्रताड़ित करना है. इस मामले में फंसाए गए स्टेन स्वामी, सुधा भरद्वाज, गौतम नवलखा, महेश राउत, आनंद तेलतुम्बडे समेत 16 लोगों के विरुद्ध किसी प्रकार का सबूत नहीं मिला है. अभी तक मात्र 2 लोगों को लम्बे संघर्ष के बाद बेल मिली है. अन्य सभी पांच साल से हिरासत में हैं. आज तक केस का ट्रायल भी शुरू नहीं हुआ. यूएपीए के दमनकारी नीतियों के चलते बेकसूर स्वामी जेल में रहे
वक्ताओं ने यह भी कहा कि देश में हजारों लोग - असंवैधानिक नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का शांतिपूर्ण विरोध करने वाले, छात्र, किसान, आदिवासी, कश्मीर के लोग, पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता, ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता, सांस्कृतिक कार्यकर्ता आदि – यूएपीए अंतर्गत प्रताड़ित किए जा रहे हैं. यूएपीए के दमनकारी नियमों के कारण किसी को भी बिना सबूत के महीनों तक बेल से वंचित रखा जा सकता है एवं उग्रवादी करार दिया जा सकता है. स्टैन स्वामी झारखंड समेत पूरे देश के उन हजारों विचाराधीन कैदियों के प्रतीक हैं जो सालों से यूएपीए एवं ऐसे अन्य दमनकारी कानूनों के फ़र्ज़ी आरोपों पर जेल में डाले गए हैं. केंद्र सरकार ने फंसने के हर हत्थकंडे अपनाए
कहा गया कि आदिवासियों-मूलवासियों के प्राकृतिक संसाधनों को लूटने के लिए केंद्र सरकार द्वारा हर तरह के हथकंडे अपनाएं जा रहे हैं – आदिवासियों के लिए बने विशेष संवैधानिक प्रावधानों और कानूनों को कमज़ोर किया जा रहा है, जबरन भूमि अधिग्रहण के लिए कानून थोपे जा रहा हैं, भूमि दस्तावेजों का डिजिटलीकारण कर एवं स्वामित्व कार्ड जैसी योजनाओं को लागू कर स्थानीय भूमि कानूनों जैसे सीएनटी-एसपीटी को खत्म करने एवं आदिवासी-मूलवासियों की भूमि पर दखल को कमज़ोर करने की प्रक्रिया चल रही है. राष्ट्रपति से मांग
-स्टेन स्वामी की न्यायिक हत्या के दोषियों के विरुद्ध कार्यवाई की जाए - भीमा कोरेगांव मामले को तुरंत ख़त्म कर सभी 15 लोगों को रिहा किया जाए - भीमा कोरेगांव हिंसा के ज़िम्मेवार हिंदुत्व वाले नेताओं पर कार्यवाई की जाए -यूएपीए को रद्द किया जाए - सभी राजनैतिक बंदियों को रिहा किया जाए. [wpse_comments_template]
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