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सपनों के सच होने का नाम है लोकतंत्र, जहां जनता की आवाज ही ईश्वर की वाणी है : स्पीकर रवींद्रनाथ

Ranchi :   झारखंड विधानसभा के मॉनसून सत्र का आगाज शुक्रवार को हो गया. स्पीकर ने अपने संबोधन में कहा कि यह सत्र 1 अगस्त से 7 अगस्त 2025 तक आहूत है, जिसमें राज्य के प्रथम अनुपूरक बजट तथा राजकीय विधेयक प्रस्तुत किए जायेंगे. इस सत्र में कुल पांच बैठकें हैं. प्रत्येक दिन प्रश्नकाल है और 7 अगस्त को गैर सरकारी संकल्प भी प्रस्तुत किए जायेंगे. उन्होंने कहा कि सपनों के सच होने का नाम है लोकतंत्र, जहां जनता की आवाज ही ईश्वर की वाणी है.

 

कई महत्वपूर्ण विधेयक भी होंगे पेश

इस सत्र में प्रथम अनुपूरक बजट प्रस्तुत किया जायेगा, जो न केवल राज्य की वित्तीय आवश्यकता की पूर्ति करेगा, बल्कि सामाजिक कल्याण, संरचनागत विकास और शिक्षा-स्वास्थ्य क्षेत्र में नई गति भी देगा. साथ ही कई महत्वपूर्ण विधेयक भी प्रस्तुत किए जायेंगे. स्पीकर ने कहा कि मुझे विश्वास है कि इन विधेयकों पर गंभीर, रचनात्मक और सार्थक बहस होगी और इसे पारित किया जाएगा.

हमारा दायित्व सिर्फ कानून बनाना नहीं

रबिंद्रनाथ महतो ने कहा कि हमारा दायित्व केवल कानून बनाना नहीं है, बल्कि जनता की आंकाक्षाओं और उम्मीदों का सम्मान करते हुए ऐसा वातावरण तैयार करना है, जिसमें स्वस्थ बहस, विचार-विमर्श और रचनात्मक आलोचना हो, जैसा कि स्वतंत्र भारत की संसद के प्रथम स्पीकर ने कहा था. संसदीय मर्यादा और अनुशासन लोकतंत्र की आत्मा है. अतः हम सभी का कर्त्तव्य है कि हम मर्यादित आचरण और जिम्मेदारी के साथ इस सदन की गरिमा को बनाए रखें.


सदन लोकतंत्र की महान परंपरा का अंग

स्पीकर ने कहा कि हमें स्मरण करना चाहिए कि यह सदन लोकतंत्र की उस महान परंपरा का अंग है, जिसकी नींव हमारे संविधान निर्माताओं ने रखी थी. संविधान सभा में कहा गया था कि हमने इस संविधान के द्वारा अपने देश के लोगों को एक ऐसी व्यवस्था दी है, जिससे वे अपनी तकदीर स्वंय लिख सके. आज हमें यह देखना है कि हमारी हर कार्यवाही, हर निर्णय और हर चर्चा इसी भावना के अनुरूप हो.

वर्ष 2025 वैश्विक लोकतंत्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण रहा

वर्ष 2025 वैश्विक लोकतंत्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है. इस वर्ष अनेक देशों में आम चुनाव संपन्न हुए और कई स्थानों पर लोकतांत्रिक संस्थाओं की मजबूती और जनता की भागीदारी का नया संदेश मिला. इन सबके बीच भारत ने न केवल अपनी लोकतांत्रिक परंपराओं को जीवित रखा, बल्कि दुनिया को यह संदेश भी दिया कि विधिधता में एकता और संसदीय गरिमा हमारी लोकतंत्र की सबसे बड़ी शक्ति है.

 

लोकतंत्र तभी फलता-फूलता है, जब उसके प्रहरी यानी हम सब अपने कर्त्तव्यों को ईमानदारी और संवेदनशीलता से निभाते हैं. महादेवी वर्मा की पंक्तियां इस अवसर पर स्मरण आता है. वह है-अंधकार में जो दीप जलाए, वही सच्चा मानव कहलाए. हमें लोकतंत्र के उस दीपक को जलाए रखना है, जो जनता के विश्वास से प्रज्जवलित होता है.

 

लोकतंत्र केवल शासन प्रणाली नहीं, बल्कि जनआस्था का है प्रतीक 

दुनिया भर की घटनाएं हमें यह सिखाती है कि लोकतंत्र केवल शासन प्रणाली नहीं, बल्कि जनआस्था का प्रतीक है. 2025 में जब कई देशों में लोकतांत्रिक चुनौतियां देखी गई, तब हमारे यहां संवाद, सहमति और सहभागिता के उदाहरण प्रस्तुत किए गए. सदन में आपके शब्द, आपके निर्णय और आपकी सहभागिता न केवल विधान सभा, बल्कि राज्य की जनता की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है.

 

इस सत्र में विरोधी दल के मुख्य सचेतक एवं दो सचेतक मिल रहे 

इस सदन को पूर्व में सत्तादल के मुख्य सचेतक, उप मुख्य सचेतक और सचेतक मिल चुके हैं. इस सत्र में विरोधी दल के भी मुख्य सचेतक और दो सचेतक मिलेंगे. स्पीकर ने उम्मीद जताई कि सचेतक मंडली संवाद और समन्वय को और अधिक प्रभावी बनाएगी. उन्होंने संविधान सभा का हवाला देते हुए कहा कि लोकतंत्र केवल बहुमत का शासन नहीं, बल्कि अल्पमत की भी आवाज सुनने की एक पद्धति है.


इस अवसर का सर्वोतम उपयोग करें

स्पीकर ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक अवसर है. आइए हमसब मिलकर इस अवसर का सर्वोतम उपयोग करें. यह सदन केवल बहस का स्थल नहीं है, बल्कि यह जनभावनाओं और राज्य की साढ़े तीन करोड़ जनता की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है.

 

हमारी चर्चाएं और निर्णय तभी सार्थक होंगे, जब वे जनता के जीवन में वास्तविक सुधार लाए. आमजन की आकांक्षाओं की पूर्ति ही हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए. उन्होंने आशा व्यक्त की कि आप सभी सक्रिय और सकारात्मक भावना से इस मानसून सत्र में भाग लें और झारखंड को नई ऊंचाईयों तक ले जाने में अपना अमूल्य योगदान दें.


शिबू सोरेन के अच्छे स्वास्थ्य़ की कामना की

अंत में, स्पीकर ने दिशोम गुरु शिबू सोरेन के अस्वस्थ होने पर चिंता जताई और उनके दीर्घायु व अच्छे स्वास्थ्य की कामना की. उन्होंने कहा कि राज्य के निर्माण और विकास में उनका योगदान अमूल्य और प्रेरणास्रोत रहा है. 

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