Jitan Kumar
Deoghar : देश में गरीबों के लिए 5 लाख रूपये तक मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए आयुष्मान योजना की 2018 में बड़े तामझाम के साथ शुरुआत की गई थी. चार साल बाद वही आयुष्मान योजना खुद वेंटिलेटर पर लेटी दिख रही है. योजना के तहत देवघर में भी दर्जनों निजी और सरकारी अस्पतालों में ये सुविधा बहाल की गई. लेकिन मॉनिटरिंग और समय पर चिकित्सकों का पैसा भुगतान ना होने से पूरी स्कीम ही दम तोड़ रही है. आलम यह है कि देवघर ज़िले में ये योजना लगभग-लगभग बंद हो चुकी है.
महीनों से नहीं हुआ भुगतान
देवघर में दर्जनों ऐसे दर्जनों ऐसे नर्सिंग होम हैं, जहां सैकड़ों मरीजों की चिकित्सा का लाखों रुपया केन्द्र सरकार के पास बकाया है. केन्द्र सरकार की तरफ़ से भुगतान को लेकर कोई ठोस भरोसा या मुक्म्मल जवाब नहीं दिया जा रहा है. जिसके बाद अस्पतालों ने भी अब हाथ खड़े कर दिये हैं.


अस्पतालों ने हाथ किये खड़े
टावर चौक स्थित एक प्रतिष्ठित अस्पताल के चिकित्सक डॉ.संजय कुमार ने बताया कि 1 हजार से ज़्यादा मरीजों के इलाज का लाखों रूपया सरकार के पास बकाया है. बिना भुगतान के अब इलाज़ करना असंभव हो गया है. वही एक अन्य ऑर्थो रोग विशेषज्ञ डॉ.अमरीश ठाकुर ने बताया कि लगातार पत्राचार के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो पाई है. ऐसे में आयुष्मान योजना के तहत इलाज करना मुश्किल हो गया है.
मरीज़ों को हो रही परेशानी
आयुष्मान योजना को लेकर सरकार की उदासीनता से एक तरफ़ अस्पतालों के सामने परेशानी है, तो दूसरी तरफ पूरी योजना के ही प्रासंगिकता और सरकार की संवेदनशीलता पर सवाल उठ रहे हैं. लेकिन इन सबके आम गरीब मरीज़ों को इसका ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ रहा है. अस्पतालों से हर रोज़ दर्ज़नों मरीज़ बैरंग घर को लौट रहे हैं. जिस आयुष्मान भारत योजना को विश्व का सबसे बड़ा हेल्थ स्कीम बताया गया. आज वही योजना गरीब मरीज़ों के लिए मज़ाक बन कर रह गया है.
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