Deoghar: झारखंड में बाल संरक्षण के प्रति सरकार जरा भी गंभीर नहीं है. इसमें लगे अधिकारी और जेजेपी की उदासीनता के कारण राज्य के बालक-बालिकाएं उपेक्षा के शिकार हो रहें हैं. जरूरत है बाल संरक्षण के प्रति गंभीरता दिखाने की. यह आरोप राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की सदस्या डॉक्टर दिव्या गुप्ता ने देवघर में 11 मई को एक प्रेसवार्ता में कही. झारखंड सरकार को असंवेदनशील बताते हुए आड़े हाथों लिया. डॉक्टर दिव्या गुप्ता ने बताया कि बाल संरक्षण अधिकार को लेकर उनके द्वारा यूपी, एमपी व बिहार का दौरा करने के बाद वह झारखंड पहुंची है. चारों राज्यों की स्थिति के बारे में बताया कि बाल संरक्षण के प्रति बिहार राज्य सबसे पिछड़ा है. खासकर शिक्षा के अभाव में 16 से 18 वर्ष तक के बालक-बालिकाओं में हिंसा बढ़ी है. ऐसे में उन्हें शिक्षित कर मुख्य धारा से जोड़ने का काम आयोग के साथ-साथ राज्य सरकार को करना होगा. इसके लिए आयोग से राज्यों को पत्राचार किया जाएगा. सदस्य ने धनबाद, दुमका और देवघर जिले का निरीक्षण के क्रम में कई कमियों को पाया है.
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