Deoghar : देवघर (Deoghar) – श्रावणी मेला आस्था के कई रूपों को लेकर विश्वप्रसिद्ध है. बाबाधाम पहुंचने वाले कांवरियों के भी कई रंग देखने को मिलते हैं. सुल्तानगंज से देवघर की 105 किलोमीटर की पैदल कांवड़ यात्रा कष्टकारी है. कांवरियों को पैदल यात्रा पूरी करने में चार से पांच दिन लग जाते हैं. वहीं डाक बम भी होते हैं जो बिना रूके 24 घंटे के भीतर बाबाधाम पहुंचकर जलार्पण करते हैं. भोलेनाथ की तरह देवघर पहुंचने वाले उनके भक्त मतवाले, मस्तमौला, औघड़, हठी और तपस्वी होते हैं. दंडी बम हठी और तपस्वी शिवभक्तों की श्रेणी में आते हैं.
सुल्तानगंज से बाबाधाम की 105 किलोमीटर की लंबी यात्रा दंडी बम साष्टांग दंडवत करते हुए पूरी करते हैं. प्रत्येक दंड पर दंडी बम जमीन पर लकड़ी से चिन्ह बनाते हैं. अगला कदम उसी चिह्न पर पांव रखकर आगे बढाते हैं. दंडी बम को सुल्तानगंज से बाबाधाम की यात्रा पूरी करने में 25 से 30 दिन का समय लग जाता है. कठिन तप और हठ के कारण ही दंडी बम हठ बम के तौर पर भी जाने जाते हैं. दंडी बम अपनी यात्रा में फलाहार ग्रहण करते हैं. इनकी भक्ति की पराकाष्ठा देखते ही बनती है. इनकी सेवा में इनके साथ एक दल भी चलता है.
दूसरी सोमवारी को उमड़ा आस्था का जनसैलाब

बाबा मंदिर में श्रावण की दूसरी सोमवारी पर आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा. कांवरियों की कतारें नंदन पहाड़ तक पहुंच गई. 24 जुलाई की देर रात कांवरिए कतारों में लग गए. इस बार महिला कांवरियों की भी अच्छी खासी संख्या देखी जा रही है. देवघर बोल-बम के नारे से गूंजायमान हो उठा है. बाबा मंदिर में जलार्पण अर्घा से किया जा रहा है. दिव्यांग श्रद्धालुओं के लिए बाह्य अर्घा से जलार्पण की व्यवस्था है.
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