Deoghar : देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम अपने कुछ परंपराओं को लेकर भी देश के अन्य तीर्थ स्थलों से अलग और ख़ास है. बाबा भोलेनाथ के मंदिर और मां पार्वती के मंदिर के शिखर को पवित्र धागों से बांधकर गठजोड़ करने की परम्परा देश दुनिया में और कहीं नहीं मिलती. इस परम्परा को शिव और शक्ति गठजो़ड़ या गठबंधन कहा जाता है. समय के साथ यह परम्परा एक धार्मिक रूप ले चुकी है. भगवान शिव के जलाभिषेक के बाद श्र्द्धालु शिव शक्ति का गठजोड़ करना नहीं भूलते. साथ ही गठजोड़ के लाल, पीले धागे को आशीर्वाद के रूप में घर भी ले जाते हैं.
शास्त्रों में भी है इस परम्परा का वर्णन
शास्त्रों में भी बाबा भोलेनाथ के मंदिर और मां पार्वती के मंदिर के ध्वज को धागों से गठजोड़ की परम्परा का वर्णन है. यहां आने वाले तीर्थ यात्री भी जलाभिषेक के बाद अपनी मनोकामना की पूर्ति और अपनी परिवार की खुशहाली के लिए बाबा बैद्यनाथ और मां पार्वती मंदिर के बीच पवित्र धागा का गठजोड़ करना चाहते हैं.
गठजोड़ बनाने से पूर्ण होती है श्रद्धालुओं की मनोकामना
गठजोड़ की यह परम्परा बाबाधाम में सालभर लगी रहती है, लेकिन सावन के पवित्र माह में गठबंधन कराने का खास धार्मिक महत्व है. अधिकांश श्रद्धालु यहां गठजोड़ और ध्वजा चढ़ाने के बाद ही अपने धार्मकि अनुष्ठान को पूर्ण मानते हैं. यह प्रथा यहां की अलग विशेषताओं में से एक है जो अन्य किसी ज्योर्तिंग में देखने को नहीं मिलती है.
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