- भगवान जगन्नाथ के जयघोष से पूरा मेला परिसर गूंज उठा
- रथ की रस्सी खींचने व छूने के लिए मची रही होड़
- इसके साथ ही नौ दिन तक चलनेवाला रथ मेला का हुआ समापन
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323 सालों से चली आ रही रथयात्रा की परंपरा
रांची में रथयात्रा की परंपरा 323 सालों से चली आ रही है. रांची में जगन्नाथपुर मंदिर का निर्माण बड़कागढ़ के महाराजा ठाकुर रामशाही के चौथे बेटे ठाकुर ऐनीनाथ शाहदेव ने 25 दिसंबर 1691 में कराया था. मंदिर का जो वर्तमान स्वरूप दिखता है, वह 1991 में बना. वर्तमान मंदिर पुरी के जगन्नाथ मंदिर के तर्ज पर बनाया गया है. गर्भ गृह के आगे भोग गृह है. भोग गृह के पहले गरुड़ मंदिर है, जहां बीच में गरुड़जी विराजमान हैं. गरुड़ मंदिर के आगे चौकीदार मंदिर है. ये चारों मंदिर एक साथ बनाए गए थे. ओड़िशा शैली में निर्मित इस मंदिर में पूजा से लेकर भोग चढ़ाने का विधि-विधान भी पुरी के जगन्नाथ मंदिर जैसा ही है.alt="" width="600" height="400" /> इसे भी पढ़ें – सुप्रीम">https://lagatar.in/jssc-issued-merit-list-after-order-of-supreme-court/">सुप्रीम
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