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धनबाद : सिंफर में 139 करोड़ का घोटाला

प्राथमिकी दर्ज, मची खलबली कई बड़े अधिकारी व कंपनियां जांच के घेरे में Dhanbad : देश का प्रतिष्ठित रिसर्च संस्थान केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान (सिंफर) में 1.39 अरब यानी 139 करोड़ रुपए के ऑनरेरियम घोटाले से संस्थान पर गहरा दाग लगा है. अब तक विभागीय व अंदरूनी कार्यवाही के बाद सीबीआई ने पूर्व निदेशक डॉ. पीके सिंह और पूर्व मुख्य वैज्ञानिक डॉ. एके सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है. इसके बाद से सिंफर परिसर में सन्नाटा पसरा हुआ है. अधिकतर अधिकारी अपने चैंबर में काफी कम समय बिता रहे हैं. एफआईआर में अज्ञात अभियुक्त के नामों की चर्चा जोरों पर है. अज्ञात में कौन-कौन शामिल हैं 28 जून बुधवार को दिन भर उनके नामों के कयास लगाए जाते रहे.

पीके सिंह के पूरे कार्यकाल की जांच संभव

सीबीआई की चार्जशीट के मुख्य अभियुक्त सिंफर के पूर्व निदेशक का पूरा कार्यकाल जांच के घेरे में आ गया है. दबी जुबान में कुछ वैज्ञानिकों ने बताया कि पूर्व निदेशक के कार्यकाल में हुए सभी शोध, विकास कार्य, ऑनरेरियम राशि, कोल सैंपलिंग, नियुक्ति समेत एमओयू साइन करने वाली कंपनियां जांच के घेरे में आएंगी. इसकी जद  में कई बड़ी कंपनियां आ सकती हैं.

पीके  सिंह पर 15.36 करोड़ व एके  सिंह पर 9.04 करोड़ ऑनरेरियम लेने का आरोप

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alt="" width="300" height="200" /> पूर्व निदेशक डॉ. पीके सिंह[/caption] ऑनरेरियम घोटाले की राशि 1.39 अरब रुपए पहुंच गई है. इसमें पूर्व निदेशक डॉ. पीके सिंह पर 15.36 करोड़ रुपए, जबकि पूर्व मुख्य वैज्ञानिक डॉ. एके सिंह पर 9.04 करोड़ रुपए ऑनरेरियम के रूप में लेने का आरोप है. सीबीआई की एफआईआर के अनुसार, वर्ष 2016 से मार्च 2021 के बीच ऑनरेरियम मद में 1.39 अरब रुपए की राशि संस्थान के कई अन्य वैज्ञानिकों, अधिकारियों और कर्मियों के बीच बांटी गई है.

सेवानिवृत्ति के पहले हो चुके हैं सस्पेंड

ज्ञात हो कि सिंफर के निदेशक पद से डॉ. पीके सिंह 31 दिसंबर 2022 को सेवानिवृत्त होने वाले थे,  लेकिन ऑनरेरियम घोटाले का पता चलने पर सेवानिवृत्ति के 3 दिन पहले ही औद्योगिक अनुसंधान परिषद-सीएसआईआर नई दिल्ली से उनके निलंबन का आदेश जारी हो गया था. उनके साथ सिंफर के प्रशासनिक अधिकारी दशमथ मुर्मू को भी निलंबित कर दिया गया था.

एफआईआर से 10 दिन पहले हेड पद से हटे एके सिंह

सीबीआई की एफआईआर से 10 दिन पहले ही मुख्य वैज्ञानिक व दूसरे अभियुक्त डॉ. एके सिंह को कोल सेंपलिंग से संबंधित रिसर्च क्वालिटी एसेसमेंट विभाग के हेड पद से हटा दिया गया. संस्थान में इसकी भी चर्चा है कि संभवतः सिंफर प्रशासन को सीबीआई की एफआईआर की सूचना पहले से रही होगी.

वर्ष 2021 से शुरू हुई जांच

सिंफर में वर्ष 2016 से कोल सैंपलिंग की जा रही है. वर्ष 2021 में गड़बड़ियों की शिकायत मिलने के बाद सीबीआई, सीएसआईआर की उच्च स्तरीय कमेटी, विजिलेंस टीम के अलावा वित्त मंत्रालय की कमेटी भी इसकी जांच कर रही है. ज्ञात हो कि सिंफर की कमाई का मुख्य जरिया कोल सैंपलिंग है.

553 वैज्ञानिकों व अधिकारियों के बीच बंटी थी रेवड़ी

जानकारी के अनुसार, ऑनरेरियम घोटाले की पूरी राशि संस्थान के 553 वैज्ञानिकों, तकनीकी अधिकारियों, तकनीकी सहायक अधिकारियों व प्रशासनिक कर्मचारियों के बीच बंटी थी, इसकी शिकायत सीएसआईआर, नई दिल्ली तक पहुंची थी. तब सीएसआईआर ने राशि वापस लेने का आदेश जारी कर दिया था. अगस्त 2022 से ऑनरेरियम के रूप में भुगतान की गई राशि की रिकवरी शुरू कर दी गई थी, लेकिन 16 दिसंबर 2022 को इसे रोक दिया गया. यह भी पढ़ें : धनबाद">https://lagatar.in/dhanbad-bjp-people-went-door-to-door-and-counted-the-achievements-of-9-years-of-modi-government/">धनबाद

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