नौकरी की मांग को लेकर कार्यालय के बाहर जारी है धरना
Dhanbad : ये टकटकी पिछले 14 साल की है. उम्मीद है कि अपनों को खोने के बाद कम से कम उनकी कमाई का साधन तो मिल जाए. कुल 108 आश्रितों के परिवार हैं, जो इस जद्दोजहद में मुसीबतों को झेलते हुए पिछले 840 दिनों से धरना दे रहे हैं. यह धरना झमाडा कार्यालय धनबाद में जारी है. हर बार टूटती उम्मीदों को हिम्मतों का सहारा दिया जाता है और लड़ाई में डटे रहने वाले ये 108 परिवार फिर से जुट जाते हैं. इस महाधरना का नेतृत्व करनेवालों में से एक विशाल कुमार चौधरी ने बताया कि यहां कुल 108 परिवार के लोग धरना दे रहे हैं. इनमें से कुछ का मामला 14 साल पुराना है, जो करीब डेढ़ दशक से नौकरी के इंतजार में हैं. लेकिन झमाडा प्रबंधन मौन साधे हुए है. उन्होंने दावा किया कि धरना मरते दम तक जारी रखेंगे. नौकरी मिलने के बाद ही घर लौटेंगे.
झमाडा में बोर्ड अध्यक्ष के नहीं होने के कारण लटका है मामला
विशाल ने बताया कि 2008 के बाद झमाडा में बोर्ड अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हुई है. यही कहकर उनकी लड़ाई को दबाया जा रहा है. बोर्ड अध्यक्ष के रहने और नहीं रहने का खामियाजा आश्रित क्यों भुगतेंगे. जब हमारे परिवार के सदस्य ने माडा में नौकरी करते हुए जान गंवाई है, तो हमें नियोजन देने में इतनी बेइमानी क्यों की जा रही है.
आश्रितों के प्रतिनिधिमंडल ने झरिया विधायक को सौंपा ज्ञापन
झमाडा धनबाद के अनुकंपा आश्रित कई लोग पिछले 840 दिनों से झमाडा के मुख्य द्वार के सामने धरने पर बैठे हैं. मंगलवार को धरनार्थियों का एक प्रतिनिधिमंडल झरिया विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह से मिलकर अपनी मांग से संबंधित ज्ञापन सौंपा. विधायक ने आश्वासन दिया कि वह उनकी मांगों को लेकर झमाडा के प्रबंध निदेशक से जल्द ही मिलेंगी और समाधान का प्रयास करेंगी. झमाडा में दर्शाए गए कर्मचारियों की कमी के मामले व अनुकंपा बहाली प्रक्रिया को भी सदन में जोरदार तरीके से उठाएंगी.
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