Dhanbad : 1932 खतियान पुरानी मांग है, जो एजेंडा में भी शामिल है. अपनी सरकार रहते इस पर गंभीरता दिखाएंगे और आने वाले दिनों में यह भी लागू होगा. उक्त बातें टुंडी विधायक व सत्तारूढ़ दल के सचेतक मथुरा प्रसाद महतो ने 20 फरवरी को धनबाद के झरिया स्थित बीसीसीएल के गेस्ट हाउस में कही. वह झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन के बीसीसीएल जोन के सम्मलेन में आए थे. भाषा मामले पर उन्होंने कहा कि राज्य के हर जिले में भोजपुरी, मगही, मैथिली ,और अंगिका भाषा को रघुवर सरकार के समय 2018 में ही लाया गया था. लेकिन हेमंत सोरेन की सरकार में समीक्षा के बाद सभी जिलों से इन भाषाओं को निरस्त किया गया. उन्होंने कहा कि गढ़वा, पलामू, धनबाद, बोकारो में यह मूल भाषा नहीं है. यह परिभाषी भाषा है, इसीलिये इसे निरस्त किया गया. उन्होंने कहा कि सहयोगी दल को भी विश्वास में लिया गया. उन्होंने कहा कि उर्दू पहले से ही राज्य की द्वीतीय भाषा है. उन्होंने कहा कि सम्मेलन में झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन को और ज्यादा मजबूत करने पर चर्चा हो रही है. कहा कि बीसीसीएल के 12 एरिया में यूनियन को मजबूत करने के लिए एरिया कमिटी बनाई गई है. जल्द ही बीसीसीएल, सीसीएल और ईसीएल को मिला कर महाधिवेशन किया जाएगा. कार्यक्रम में मौजूद झामुमो के महासचिव बिनोद पाण्डे ने कहा कि जनभावना का आदर शुरू से ही झारखंड मुक्ति मोर्चा करता रहा है. उसी भावना का आदर करते हुए सरकार ने भाषा विवाद में निर्णय लिया. इसका स्वागत होना चाहिए. उन्होंने कहा कि हमें किसी भाषा से कोई गुरेज नहीं है. उन्होंने कहा कि कोरोना प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए यूनियन के पदाधिकारियों को बुलाया गया है. सम्मेलन में संगठन को और ज्यादा मजबूत बनाने पर चर्चा हो रही है. यह भी पढ़ें: बादलों">https://lagatar.in/clouds-surround-dhanbad-chances-of-rain/">बादलों
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धनबाद : 1932 खतियान भी जल्द होगा लागू : मथुरा महतो

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