एसएसएलएनटी में सेमिनार : नौकरी नहीं समाज को कुछ देने के लिए शोध करने की अपील
Dhanbad : ज्ञान के व्यवस्थित स्वरूप को ही शोध कहते हैं. बच्चों में शोध व आविष्कार की प्रक्रिया जन्म लेने के साथ ही शुरू हो जाती है. लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का प्रयोग बढ़ने से व्यक्ति बुद्धि का प्रयोग कम कर रहा है. आने वाले दिनों में एआई पर ज्यादा निर्भरता बुद्धि के विकास को रोक देगी. एआई हमें उस युग में वापस पहुंचा देगा जहां से हमने विकास क्रम की शुरुआत की थी. यह बातें बीबीएमकेयू के प्रति कुलपति पवन कुमार पोद्दार ने कहीं. वह एसएसएलएनटी महिला कॉलेज में 23 जून को टॉकन रिसर्च एंड डेवलपमेंट बेंगलुरू, के तत्वावधान में आयोजित मल्टी डिसीप्लिनरी नेशनल सेमिनार को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कंटेंपरेरी रिसर्च सिस्टम इन इंडिया एंड चेंजिंग सिनारियो ऑफ प्रजेंट पैराडिगइम्स विषय पर कहा कि वर्ष 2012 के बाद मोबाइल का उपयोग और डिजिटलाइजेशन बढ़ने से किशोरों में आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ी है. आज शिक्षा केवल नौकरी व कमाई के उद्देश्य से की जा रही है. 90 प्रतिशत विद्यार्थी शोध का उद्देश्य पीएचडी डिग्री और नौकरी बताते हैं. इससे मानवीय मूल्य कम हुए हैं. उन्होंने विद्यार्थियों को बुद्धि का विकास क्रम बनाये रखने और शोध नौकरी या कमाई के लिए नहीं, बल्कि नया करने और समाज को कुछ देने के लिए करने को प्रेरित किया.
पांच राज्यों के शोधार्थियों ने 116 पेपर प्रस्तुत किए
सेमिनार में डॉ. गगनजीत सिंह, विज्ञान संकायाध्यक्ष डॉ. जेएन सिंह, प्राचार्य डॉ. शर्मिला रानी, आयोजन सचिव विमल मिंज, सेमिनार डायरेक्टर डॉ केके मिश्रा, सेमिनार को-ऑर्डिनेटर डॉ. प्रिया मधुलिका एक्का आदि ने विचार रखे. सेमिनार में बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और छत्तीसगढ़ से आए 116 प्रतिनिधियों ने अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया. कार्यक्रम में प्रोफेसर इंचार्ज डॉ. सरिता श्रीवास्तव व डॉ. सुनीता तिवारी सहित शिक्षक-शिक्षिकाओं व विद्यार्थियों ने भाग लिया.
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