Sindri : धनबाद जिले के बड़े थानों में शुमार दूसरे स्थान पर रहने वाला बलियापुर थाना अपनी बदहाली के लिए भी मशहूर हो रहा है. 23 पंचायत के 69 गांवों में विधि व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेवारी सहित लगभग दो लाख लोगों को सुरक्षा प्रदान करने जिम्मेदारी संभालने वाला थाना अपनी जर्जर हालत आठ आठ आंसू बहा रहा है.
अधिकारी आते-जाते हैं, हालत जस की तस
कितने थाना प्रभारी आए और गए, मगर किसी ने इस थाने के बारे में नहीं सोचा. बस सोचा तो इतना कि उन्हें यहां रहना ही कितने दिन है. इस थाने में डीएसपी सहित वरीय पदाधिकारी भी आते रहे हैं. बावजूद किसी ने गंभीरता से थाने के जीर्णोद्धार के बारे में नहीं सोचा.
जर्जर भवन में हो सकता है बडा हादसा
जब्त कोयला, वाहन सहित अन्य सामान और जंगल झाड़ियों से भरे इस थाना परिसर को देख कोई भी सोच में पड़ जाता है कि कि वाकई यह थाना है या कबाड़खाना. न तो बाउंड्री वाल है, ना सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम, कौन किस वक्त किधर से थाना परिसर में प्रवेश कर जाए किसी को पता ही नहीं चलता. कैदियों को रखे जाने वाले और पदाधिकारियों द्वारा रहकर काम किए जाने वाले भवन की स्थिति यह है कि कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.
थाना प्रभारी, एसडीपीओ ने मौन साधा
पूछे जाने पर बलियापुर थाना प्रभारी श्वेता कुमारी एवं एसडीपीओ सिंदरी अभिषेक कुमार ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. कहा वह कुछ भी कहने को अधिकृत नहीं हैं. भले ही मुंह से कुछ न कहें, मगर भुगतना तो अधिकारियों भी पड़ता है. जरूरी है कि वरीय पदाधिकारी सुरक्षा का ख्याल रखते हुए नए भवन निर्माण सहित अन्य समस्याओं के समाधान की दिशा में सकारात्मक पहल करे.
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