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धनबाद : श्रमिक संगठनों की हड़ताल से ठप हुआ करोड़ों का कारोबार

Dhanbad : ट्रेड यूनियनों के भारत बंद के आह्वान पर धनबाद के बैंकों में कामकाज ठप रहा, जबकि कोलियरियों में उत्पादन और डिस्पैच पर भारी असर पड़ा. इसके अलावा बीमा कार्यालय, डाकघर सहित केन्द्र सरकार के अन्य प्रतिष्ठानों में भी ताले लटके रहे. इन कार्यालयों के आगे कर्मचारी केन्द्र सरकार की नीतियों के खिलाफ नारे लगाते रहे. हड़ताल के पहले दिन ट्रेड यूनियनों के नेताओं ने दावा किया कि केन्द्र सरकार की जन विरोधी नीतियों के विरोध में अभूतपूर्व समर्थन मिला है.

 बैंक मोड़ में बैंक ऑफ इंडिया के समक्ष खूब लगे नारे

बैंक मोड़ में बैंक ऑफ इंडिया जोनल ऑफिस के कर्मियों ने प्रदर्शन किया. कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारे लगाए. उन्होंने कहा कि सरकार निजीकरण से बाज आए और उनकी मांगों पर विचार करे, अन्यथा जोरदार आंदोलन किया जाएगा. बैंक कर्मियों ने कहा कि यह जन विरोधी और श्रम विरोधी सरकार है. कहा कि अगर सरकार ने जन विरोधी नीतियों को वापस नहीं लिया तो भविष्य में आंदोलन और भी तेज होगा. पहले दिन हड़ताल के कारण लगभग 600 करोड़ का कारोबार प्रभावित होने का अनुमान है.

   खेत-खलिहान से खदान तक हड़ताल का दावा

नेताओं ने दावा किया कि 12 सूत्री मांगों को लेकर 10 केंद्रीय श्रमिक संगठन व कई स्वतंत्र ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर देश भर के 20 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी एवं अधिकारी 28 मार्च को राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर हैं. हड़ताल के कारण बैंक बीमा, सामान्य बीमा, राज्य, केंद्र, बीएसएनएल, आयकर, पोस्ट ऑफिस, कोयला रक्षा, आशा, उषा, आंगनबाड़ी, मध्याह्न भोजन कर्मी, मेडिकल, रिप्रेजेंटेटिव, खेत, खदान, खलिहान, भवन निर्माण,  सार्वजनिक उपक्रम एवं अन्य संस्थानों में कामकाज ठप रहा.

 श्रमकानूनों की वापसी, निजीकरण पर रोक की मांग

हड़ताल पर गए सगठनों ने चार लेबर कोड को समाप्त करने, कृषि कानूनों के रद्द होने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा से किए गए वादों को पूरा करने, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को मजबूत करने,  निजीकरण पर रोक लगाने जैसी कई महत्वपूर्ण मांगें की हैं. हड़ताल में शामिल जे एम एस नेता मंटू सिंह ने कहा कि दो दिवसीय हड़ताल मजदूरों के हित के लिए की गई है. उन्होंने कहा कि सरकार को श्रम कानून वापस लेना होगा,  मजदूरों को उनका हक देना होगा, सरकार ने निजी करण की ओर जो कदम बढ़ाया है, उसे रोकना होगा. उन्होंने कहा कि हड़ताल में कोयला श्रमिक भी शामिल है, जिससे कंपनी का करोड़ों का नुकसान होगा. परंतु इसकी जवाबदेही सरकार की होगी.

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alt="" width="300" height="168" /> हड़ताल में शामिल कोलियरी कर्मी[/caption]

         हड़ताल का निर्णय सही नहीं : सीएमडी

बीसीसीएल के सीएमडी सिमरन दत्ता ने लगातार संवादाता से दूरभाष पर बात करते हुए कहा कि मार्च महीना प्रोडक्शन और ट्रांसपोर्टिंग का होता है. इस महीने में टारगेट पूरा करना होता है. ऐसे वक्त में हड़ताल का निर्णय सही नहीं है. उन्होंने कहा कि श्रमिक यूनियन के प्रतिनिधियों से वार्ता कर उनसे हड़ताल स्थगित करने का अनुरोध किया गया था. बावजूद श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधि नहीं माने. उन्होंने कहा कि सुबह हड़ताल पर असर पड़ा था, लेकिन दोपहर के बाद स्थिति में थोड़ा सुधार दिखा. कुछ श्रमिक यूनियन हड़ताल के समर्थन में नहीं थे. उन्होंने कहा कि यूनियन के प्रतिनिधियों को समझाने की कोशिश की जा रही है. कहा कि हड़ताल से 30 से 40 प्रतिशत नुकसान होने की संभावना है.

मांगें पूरी नहीं हुई तो आंदोलन होगा तेज : एसोसिएशन

ऑल इंडिया बैंक इम्प्लाइज एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष नंदकुमार महाराज ने कहा कि हड़ताल में ऑल इंडिया बैंक एंप्लाइज एसोसिएशन के अलावा बैंकिंग क्षेत्र की दो अन्य ट्रेड यूनियन ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन एवं बैंक इंप्लाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया शामिल है. एसोसिएशन के नेता प्रभात चौधरी ने बताया  कि बैंकों का निजीकरण रोकने, श्रमिक सुधार कानूनों पर रोक लगाने जैसी कई मुख्य मांगें हैं. इन मांगों को लेकर पहले दिन हड़ताल में बैंकों की 150 शाखाओं के 3500  कर्मचारी शामिल हुए. हड़ताल से करोड़ों का व्यवसाय प्रभावित हुआ है. बैंक कर्मचारी सुभाष कुमार बाल्मीकि ने कहा कि सरकार चार लेबर कोड को समाप्त करे और निजीकरण पर रोक लगाए. उन्होंने कहा कि अगर मांगें पूरी नहीं हुई तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा. कहा कि आज के इस हड़ताल से लगभग 600 करोड़ का कारोबार प्रभावित होगा, जिसकी जवाबदेही सरकार की होगी. यह भी पढ़ें : निरसा">https://lagatar.in/banks-remained-closed-in-nirsa-region-collieries-stalled/">निरसा

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