कुछ वीआइपी इलाकों पर ही मेहरबानी, परेशान हैं नगरवासी
Dhanbad : मच्छरों के आतंक से पूरा शहर परेशान है. मगर मच्छरों को भगाने का काम जिनके जिम्मे है, वह विभाग आराम फरमा रहा है. नगर निगम की फागिंग मशीनें भी मच्छर नहीं मार रही हैं. कुछ इलाके तो ऐसे भी हैं, जहां कई माह से फॉगिंग नहीं हुई. लोग हैरान-परेशान नगर निगम को कोस रहे हैं. फॉगिंग के नाम पर खानापूर्ति हो रही है. हालांकि कुछ वीआइपी इलाकों में जरूर नियमित रूप से हो रही है. डीसी, डीडीसी, एसएसपी, एसडीओ, नगर आयुक्त के आवास उन इलाकों में शामिल हैं, जहां मशीन धुआं उगल रही है. मच्छरों के आतंक से बढ़ा बीमारी का खतरा
इधर मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारियों का खतरा बढ़ गया है. विभिन्न क्षेत्रों से ऐसी बीमारियों के मामले सामने आ रहे हैं. निगम की आधा दर्जन मोपेड फॉगिंग मशीन कबाड़ में सड़ रही हैं. नगर निगम क्षेत्र के अधिकतर इलाकों में छह-छह माह से फॉगिंग ही नहीं हुई है. निगम के पांचों अंचल धनबाद, सिंदरी, झरिया, छाताटांड़ और कतरास में 10 लाख से अधिक आबादी मच्छरों से निजात चाहती है, मगर लोग निरुपाय हैं. कुछ इलाके तो ऐसे भी हैं जहां लोग फॉगिंग का नाम तक नहीं जानते, क्योंकि कभी हुई ही नहीं. क्या है नियम, अधिकारी का दावा क्या
जिस इलाके में फॉगिंग होनी है, वहां एक दिन पहले मुनादी करना जरूरी है. लोगों को बताना होगा कि जिस दिन फॉगिंग होगी, उस दिन घर के दरवाजे और खिड़कियां बंद रखें. नालियों, कूड़े के ढेर में ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव अनिवार्य है. इसके बाद डीडीटी स्प्रे भी होता है. यही नहीं, सूर्यास्त से पहले और बाद दो बार फॉगिंग जरूरी है. तभी इसका असर रहता है. जिस केमिकल का प्रयोग फॉगिंग के लिए हो रहा है, उसकी लैब टेस्टिंग भी जरूरी है. साथ ही फागिंग में प्रयोग होने वाली मशीन की क्वालिटी की भी जांच होनी चाहिए. यह सब कुछ भी नहीं हो रहा है. हालांकि नगर प्रबंधक रणधीर वर्मा का दावा है कि नई कोल्ड फॉगिंग मशीन से लगातार फॉगिंग की जा रही है. [wpse_comments_template]
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