Dhanbad /Topchachi कोयलांचल धनबाद में शनिवार को आस्था विश्वास और भक्ति के साथ चड़क पूजा मनाई गई. धनबाद से तोपचांची तक शिव भक्तों ने शरीर में कील चुभो कर लकड़ी के खूटे पर आस्था की मन्नतों के साथ परिक्रमा की. इस दृश्य को देखने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ा. चार दिनों तक चलने वाली चड़क पूजा को लेकर मनईटांड, भेलाटांड साहित कई क्षेत्र में भारी उत्साह है. शनिवार की सुबह तालाबों में स्नान कर मंत्रोच्चार के साथ पुजारी ने शिव भक्तों से पूजा कराई व शरीर में कील चुभोए. चड़क पूजा में महिला श्रद्धालुओं ने भी बेहद उत्साह दिखाया. लकड़ी के जिस खूटे पर शिव भक्त शरीर में कील चुभोकर घूम रहे थे, उसके चारों ओर महिलाएं उपवास रखते हुए अपने सर पर कांसा का लोटा लेकर आम के पत्ते से शिव भक्तों के शरीर में पानी का छिड़काव कर रही थी. .ह परंपरा वर्षों से चली आ रही है. भक्त सुबोध महतो ने बताया कि वर्षों पहले यह पूजा गांधीनगर के सब्जी बागान में होती थी. उसके बाद पुराना बाजार के शिव मंदिर में होने लगी. वहां बाजार बनने के कारण शिव भक्तों की संख्या अधिक और स्थान छोटा होने से पूजा मनईटांड़ में होने लगी.
तोपचांची के रामाकुंडा में कील चुभोकर घूमे खूंटा पर
तोपचांची: तोपचांची प्रखंड के रामाकुंडा पंचायत के शिव मंदिर प्रांगण में चड़क पूजा धूमधाम से मनाया गया. मंदिर प्रांगण में गहमागहमी के बीच लगभग 200 भक्त अपने शरीर के विभिन्न अंगों में कील चुभो कर खूंटा में घूमे. सभी भकेत गाजे बाजे के साथ झूम रहे थे. आस-पास के गांवों के सैकड़ों लोग शिव मंदिर प्रांगण पहुंचे थे. सबसे पहले भोक्ताजनों को पास के तालाब ले जाया जाता है तथा वहां पर इच्छानुसार, पीठ, बांह, पैर, जीभ, गर्दन, आदि शरीर के अंगों में कील घुसाया जाता है. फिर गाजे बाजे के साथ मंदिर परिसर लाया जाता है. खम्भे के पास जमीन पर भोक्तागणों के परिवार की महिला उपवास कर खड़ी रहती हैं..
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