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धनबाद : झारखंड के कॉलेज शिक्षकों को बिहार से कम मिलेंगी छुट्टियां

छुट्टी में कटौती का विरोध करने के बावजूद राजभवन ने जारी किया अवकाश कैलेंडर Dhanbad : बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय सहित झारखंड के सभी विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में शिक्षकों को अपने पड़ोसी राज्य बिहार और पश्चिम बंगाल की तुलना में काफी कम छुट्टियां मिलेंगी. ग्रीष्मावकाश और शरद ऋतु में मिलने वाली छुट्टियों में कटौती के बाद अब झारखंड के विश्वविद्यालय और कॉलेजों के शिक्षकों को वर्ष में केवल 72 दिनों की छुट्टियां मिलेंगी. नए राज्यपाल के सचिवालय ने वर्ष 2023 के लिए अवकाश कैलेंडर जारी कर दिया है. पिछले सत्र तक झारखंड के विश्वविद्यालय और कॉलेजों में बिहार के विवि के समान छुट्टी मिलती थी, लेकिन 16 मई 2023 को राजभवन से जारी अवकाश कैलेंडर में झारखंड के विवि व कॉलेजों में गर्मी की छुट्टी में 10 दिन वहीं शरद ऋतु की छुट्टी में 5 दिन के अलावा अन्य कई छुट्टियों की कटौती की गई है.

बिहार में 92 व पश्चिम बंगाल में मिलता है 125 दिनों का अवकाश

बता दें कि झारखंड के पड़ोसी राज्य बिहार में विश्वविद्यालय और कॉलेज के शिक्षकों को वर्ष में 92 छुट्टियां मिलती हैं. वहीं पश्चिम बंगाल के विश्वविद्यालय और कॉलेजों में शिक्षकों को साल में 125 से अधिक छुट्टियां मिलती हैं. पश्चिम बंगाल में रविवार और कक्षा की तैयारी के लिए सप्ताह में एक दिन की छुट्टी भी अलग से मिलती है.

शिक्षकों का विरोध भी नहीं आया काम

विश्वविद्यालय और कॉलेज के शिक्षकों ने गर्मी और शरद ऋतु की छुट्टी की कटौती का जमकर विरोध किया था. कॉलेज और विश्वविद्यालय स्तर से रांची तक विरोध दर्ज कराया गया था. शिक्षकों के प्रतिनिधिमंडल के साथ राजभवन ने वार्ता भी की थी, लेकिन इसका कोई लाभ नहीं हुआ. विरोध के बावजूद राजभवन की ओर से अवकाश कैलेंडर जारी कर दिया गया.

जरूरत पड़ी तो कोर्ट जाएगा शिक्षक संघ : प्रो सरिता श्रीवास्तव

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alt="" width="300" height="200" /> प्रो सरिता श्रीवास्तव.[/caption] फुटाज़ की पूर्व प्रदेश प्रवक्ता सह एसएसएलएनटी महिला कॉलेज की प्रो इंचार्ज डॉ सरिता श्रीवास्तव ने कहा कि शिक्षकों की ताकत कम करके आंकी जा रही है. एक बार फिर से शिक्षक जोर-शोर से आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं. जरूरत पड़ी तो शिक्षक संघ कोर्ट की भी शरण लेगा. विचार चल रहा है. शिक्षक चुप हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि वे हार गए हैं. राज्यपाल संवैधानिक प्रतिनिधि हैं. जिस अध्यादेश को उन्होंने खुद अप्रूवल दिया उसी को नकारते हुए छुट्टियों में कटौती की है. यह समझ से परे है. यह भी पढ़ें: धनबाद:">https://lagatar.in/dhanbad-mahamrityunjaya-chanting-took-place-on-the-second-day-of-yagya-in-iit-ism/">धनबाद:

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