Dhanbad: धनबाद (Dhanbad) झरिया के पूर्व भाजपा विधायक संजीव सिंह ने अपने चाचा पूर्व मंत्री बच्चा सिंह एवं झरिया की कांग्रेस विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह के विरुद्ध आपराधिक अवमानना की कार्यवाही चलाने के लिए कोर्ट में याचिका दायर की है. शनिवार 7 मई को जिला एवं सत्र न्यायाधीश अखिलेश कुमार की अदालत में संजीव की ओर से आवेदन दायर किया गया. नीरज हत्याकांड में पूर्णिमा नीरज सिंह एवं बच्चा सिंह दोनों गवाह हैं जिनकी संख्या 38 एवं 39 है. अनुसंधानकर्ता ने दैनिकी के कंडिका 447 में पूर्णिमा सिंह का एवं कंडिका 449 में बच्चा सिंह का बयान दर्ज किया है.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गलत बयानबाजी
अधिवक्ता जावेद ने दलील देते हुए कहा कि झरिया की विधायक पूर्णिमा सिंह मृत नीरज सिंह की विधवा हैं. बच्चा सिंह चाचा हैं. बावजूद वह न्यायालय में बयान दर्ज कराने के लिए नहीं उपस्थित हुए. गवाही बंद हो जाने के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और मीडिया में गलत बयानबाजी कर कार्रवाई को बाधित कर रहे हैं. उनकी इस हरकत से ट्रायल प्रभावित हो रहा है. आवेदन में संजीव ने आरोप लगाया है कि पूर्णिमा नीरज सिंह ने विगत 5 मई को अखबारों में बयान दिया कि “धनबाद में आपराधिक घटनाओं का सिलसिला नया नहीं है. 2017 में भी नरसंहार हुआ था, उसमें भी यही तत्व शामिल थे. आवेदन में कहा गया है कि पूर्णिमा नीरज सिंह का यह बयान अपमानजनक और गलत है. इससे समाज में संजीव सिंह की छवि खराब हुई है.
संजीव की छवि धूमिल करने का प्रयास
आवेदन में आरोप लगाया गया है कि 5 मई 2022 को फेसबुक पर बच्चा सिंह ने एक पोस्ट लिखा. जो मीडिया में भी प्रकाशित हुआ. उसमें कहा गया है कि “नीरज सिंह तथा उनके तीन साथियों की जघन्य और बर्बरता पूर्ण हत्या में मुख्य साजिशकर्ता संजीव ने चारों शूटरों को करोड़ों रुपये देकर बुलाया था. अपराधी जेल में बंद होने के बाद भी अपना साम्राज्य कायम करने का प्रयास कर रहे हैं. धनबाद जेल को अपना मुख्यालय बना रखा है.
फेस बुक पोस्ट में रंगदारी और धमकी की चर्चा
यहां से धनबाद, बोकारो जिले के व्यवसायियों,आउटसोर्सिंग कंपनी के मालिकों, ठेकेदारों व बड़े दुकानदारों सहित सभी संभ्रांत और प्रतिष्ठित व्यक्तियों को फोन से धमकी देकर लाखों रुपये रंगदारी मांगी जा रही है. ऐसा आपराधिक कृत्य संजीव सिंह तथा उनके शागिर्द पिछले दो-तीन वर्षों से कर रहे हैं. अधिकतर लोग जान के डर से संजीव सिंह को रंगदारी पहुंचा रहे हैं. जो नहीं देते हैं उनकी हत्या करा दी जाती है. सोची समझी राजनीति के तहत अमन सिंह के नाम को आगे किया जाता है. परंतु असली अपराधी संजीव सिंह ही हैं. पुलिस सब कुछ जानकर पब्लिक को भ्रम में रखने के लिए अमन सिंह का नाम बताती है.
न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप का मामला
अवमानना याचिका में ” आरोप लगाया गया है कि बच्चा सिंह द्वारा फेसबुक पर किया गया यह पोस्ट संजीव के चरित्र व प्रतिष्ठा को हनन करने वाला है. अभी मुकदमा अदालत में लंबित है. अदालत ने किसी को दोषी करार नहीं दिया है. बावजूद जानबूझकर पूरी सुनवाई प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए, समाज में उन्हें बदनाम करने की साजिश रची जा रही है. यह सीधे तौर पर न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप है. चूंकि अभी मामला विचाराधीन है इसलिए ऐसा बयान कोर्ट की अवमानना है. इस मामले पर कोर्ट संज्ञान ले.
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