नगर विकास विभाग ने दो साल पहले दिया था आदेश
नगर विकास विभाग ने दो साल पहले शहरी क्षेत्र के तालाबों को निगम को ट्रांसफर करने का आदेश दिया था. लेकिन आदेश की कॉपी लेकर निगम के अधिकारी चिर निद्रा में सो गए. पहले कोरोना का हवाला दिया और अब मैन पावर की कमी की बात कही जा रही है. इधर, विभाग के आदेश के बाद मत्स्य विभाग ने शहर के तालाबों से अपना ध्यान हटा लिया. इसकी वजह से कई तालाबों का या तो अतिक्रमण हो गया, या उनमें जलकुंभी भर गई है. ऐसे में टेकओवर के बाद भी निगम की मुश्किलें कम नही होंगी.निगम को हर साल 3 लाख रुपए का नुकसान
निगम के सभी 55 वार्डों में कुल 84 तालाब हैं. इनमें से कुछ तो भर भी गए हैं. लगभग 40 वर्षों से मत्स्य विभाग ही इनकी देखरेख करता था. यू कहें कि उन पर विभाग का मालिकाना हक था. नगर विकास विभाग के आदेश के बाद मत्स्य विभाग ने पिछले वर्ष 40 से अधिक तालाबों की बंदोबस्ती नही की. निगम ने इसमें कोई दिलचस्पी दिखाई. निगम अधिकारी सिर्फ घोषणा करते रहे कि सभी तालाबों का सौंदर्यीकरण किया जाएगा और मछली पालन के लिए बंदोबस्ती भी की जाएगी. अधिकारियों ने बताया कि तालाबों का टेकओवर नहीं होने से निगम को सालाना तीन लाख रुपए के राजस्व का नुकासान हो रहा है.टेकओवर में अड़चन नहीं : सहायक नगर आयुक्त
इस संबंध में पूछे जाने पर सहायक नगर आयुक्त प्रकाश कुमार ने कहा कि तालाबों को अपने अधीन लेने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. मत्स्य विभाग से सभी पुरानी फाइलें मंगाई जा रही हैं. कहीं कोई अड़चन नही है. फाइलों का अवलोकन करने के बाद बंदोबस्ती की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. यह">https://lagatar.in/wp-admin/post.php?post=273939&action=edit">यहभी पढ़ें : सिंदरी : गोली कांड मामले में मायुमो ने किया गोशाला ओपी का घेराव [wpse_comments_template]