शुरुआत में सिर्फ शहरी क्षेत्र में चला था अभियान
केंद्र सरकार का आदेश पिछले वर्ष 1 जुलाई 2022 को निकला था. आदेश के तीन दिन बाद अभियान शुरू हुआ, वह भी सिर्फ शहरी क्षेत्र में. अन्य स्थानों पर अधिकारियों ने जरूरत नहीं समझी. यह अभियान भी दो दिन चला. फिर व्यवसायी नगर आयुक्त के पास पहुंच गए और अभियान पर विराम लग गया. इसके बाद हर दो-तीन माह पर अभियान चलाया गया, वह भी सिर्फ ठेले-खोमचे वालों के खिलाफ. अब तो निगम की टीम पर आरोप लगने लगा है कि पॉलीथिन अभियान के नाम पर अधिकारी सिर्फ उगाही करते हैं.500 से 20 हज़ार रुपए तक जुर्माने का प्रावधान
वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन अधिनियम-2021 के तहत एक बार उपयोग में आने वाले प्लास्टिक के निर्माण, आयात, स्टॉकिंग, वितरण, बिक्री एवं उपभोग पर प्रतिबंध लगाया है. सिंगल यूज प्लास्टिक के साथ पकड़े जाने पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत 500 से 20 हजार रुपए तक जुर्माना लेने का प्रावधान है. लेकिन सिर्फ खानापूर्ति की जाती है.पॉलीथिन के साथ 19 अन्य उत्पादों पर लगा है बैन
केंद्र सरकार ने प्लास्टिक की बनी थैलियों के अलावा 19 अन्य चीजों को भी बैन किया है. इसमें प्लास्टिक की छरियां, कान की कलियां, गुब्बारे में लगे प्लास्टिक की छड़ी, प्लास्टिक के झंडे, कैंडी स्टिक, आइसक्रीम की छड़ी, सजावट के लिए उपयोग में आने वाले पोलीस्टाइरिन, थर्माकोल के प्लेट, कप, ग्लास, कटलरी, कांटे, चम्मच, चाकू, स्प्रे और 100 माइक्रोन से कम के पीवीसी बैनर शामिल है.प्लास्टिक बोतल को नष्ट होने में लगते हैं 450 वर्ष
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने वर्ष 2015 में अपनी सर्वे रिपोर्ट दी थी, जिसमें बताया था कि प्लास्टिक थैलियां और बोतल जल्दी नष्ट नहीं होते हैं और यह पर्यावरण के लिए काफी खतरनाक हैं. रिपोर्ट में बताया गया था कि प्लास्टिक बोतलों को नष्ट होने में 450 वर्ष और प्लास्टिक कैरी बैग को नष्ट होने में 200 से 1000 वर्ष लगते हैं. इस लिहाज से तेजी से बढ़ता प्लास्टिक का कचरा पर्यावरण के लिए खतरा पैदा कर रहा है.अभियान बंद नहीं हुआ, जागरूकता ही उपाय : मो अनीस
धनबाद नगर निगम के कार्यपालक पदाधिकारी मो अनीस ने कहा कि शहरी क्षेत्र में सिंगल यूज पॉलीथिन के खिलाफ अभियान बंद नहीं हुआ है. अभी तीन दिन पूर्व ही विक्रेताओं पर कार्रवाई की गई है. दुकानदार और खरीदार दोनों को जागरूक होने की जरूरत है. इसके इस्तेमाल से पर्यावरण का नुकसान हो रहा है. यही हाल रहा तो एक दिन सांस लेना मुश्किल हो जाएगा. जब इस बात को सभी लोग समझेंगे, तभी इसके उपयोग पर पूरी तरह रोक संभव है. यह भी पढ़ें:">https://lagatar.in/dhanbad-sipher-gave-clarification-in-honorarium-scam-of-1-39-billion/">धनबाद: 1.39 अरब के ऑनरेरियम घोटाले में सिंफर ने दी सफाई [wpse_comments_template]
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