Dhanbad : बीसीसीएल में आउटसोर्सिंग के जरिए कार्य कर रहे असंगठित मजदूरों को हक दिलाने के नाम पर श्रमिक संगठन राजनीतिक रोटी सेंक रहे हैं. हाल के दिनों में बस्ताकोला कोल डंप में हुई श्रमिक संगठनों के बीच वर्चस्व की जंग इसकी गवाही दे रही है. लड़ाई में दर्जनों मजदूर घायल हुए और काम ठप है. आखिरकार ऐसी नौबत ही क्यों आती है. इसमें फायदा किसका और नुकसान किसका होता है, यह सवाल सभी के जेहन में है. इस संबंध में बिहार कोलियरी कामगार यूनियन (BCKU ) के संयुक्त महामंत्री हरि प्रसाद पप्पू ने कहा कि BCKU हमेशा मजदूरों के लिए हक की लड़ाई लड़ता रहा है और आगे भी लड़ता रहेगा. उनके संगठन में दस हजार असंगठित मजदूर जुड़े हुए हैं कभी किसी के साथ भेदभाव नही होने दिया गया. रही बात वर्चस्व की, तो उसके लिए तीन लोग जिम्मेवार हैं, प्रबंधन, प्रशासन और नेता. इनमें सबसे अधिक प्रबंधन जिम्मेवार है, जो श्रमिक संगठन के साथ बैठक किए बिना कार्य शुरू करा देता है. इसमें प्रशासन का भी सहयोग रहता है. इसमें कुछ श्रमिक नेता व्यक्तिगत फायदा देखते हैं. वहीं जनता श्रमिक संघ एरिया-9 और 6 के पर्यवेक्षक अनिल निनियां ने कहा कि उनके संगठन में बीसीसीएल के 12 एरिया में लगभग तीन हजार असंगठित मजदूर है. उनके हक के लिए हमेशा उनका संगठन लड़ाई लड़ता रहा है. कभी मजदूरों के साथ राजनीतिक षड्यंत्र नहीं किया गया. कुछ एरिया में आउटसोर्सिंग के दलालों द्वारा मजदूरों के साथ मनमानी की जाती है, जिसकी सूचना भी मंत्रालय व अधिकारियों को दे दी गई है. उन्होंने वर्चस्व की लड़ाई पर कहा कि इसमें पूरी गलती प्रबंधन की होती है. प्रबंधन को कार्य शुरू करने से पहले श्रमिक संगठन के साथ बैठक करनी चाहिए. जनता मजदूर संघ के अध्यक्ष रंजीत सिंह ने कहा कि उनके संगठन में चार हजार असंगठित मजदूर हैं. संगठन हमेशा लोगों की मांग पूरा करने में जुटी रहती है. कभी मजदूरों के साथ राजनीतिक रोटी नही सेंकती. अगर किसी एरिया में श्रमिक संगठनों के बीच हंगामा होता है तो वह सरासर प्रबंधन की गलती होती है. इसमें मजदूर पिसते हैं. प्रबंधन अगर श्रमिक संगठनों के साथ बैठक कर कार्य शुरू करे और स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दे तो कभी श्रमिक संगठनों के बीच संघर्ष नहीं होगा. श्रमिक संगठन मासस के विश्वकर्मा प्रोजेक्ट के सचिव भगवान पासवान ने कहा कि अगर प्रबंधन श्रमिक संगठनों के साथ बैठक कर स्थानीय लोगों को रोजगार के लिए प्राथमिकता दे, तो कभी भी मजदूरों के साथ अन्याय नहीं होगा. श्रमिक संगठन कभी नहीं चाहता है कि वह मजदूरों के साथ राजनीति करे. हमेशा मजदूरों के हक की लड़ाई लड़ता है, जिसका नतीजा विश्वकर्मा प्रोजेक्ट है, जहां लंबी लड़ाई के बाद स्थानीय लोगों को रोजगार मिला. यह भी पढ़ें: धनबाद">https://lagatar.in/dhanbad-2-arrested-for-stone-pelting-and-firing-in-bastakola-arms-and-bullets-recovered/">धनबाद
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धनबाद : प्रबंधन के तानाशाही रवैये के कारण होती है वर्चस्व की लड़ाई : श्रमिक संगठन

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