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Maithon : डीवीसी व एमपीएल के विस्थापितों का प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को रांची में मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन से उनके आवास पर मिला. झामुमो के एग्यारकुंड प्रखंड अध्यक्ष रामनाथ सोरेन के नेतृत्व में विस्थापित नेताओं ने सीएम को ज्ञापन सौंपा और विस्थापितों के दर्द से अवगत कराया. मुख्यमंत्री ने उनकी बातों को ध्यान से सुना और कहा कि अब उनके साथ अन्याय नहीं होने देंगे. आश्वस्त किया कि जल्द ही डीवीसी व एमपीएल के अधिकारियों के साथ बैठक कर विस्थापितों का हक व अधिकार दिलाया जाएगा.
दामोदर वैली वास्तुहारा संग्राम समिति के अध्यक्ष वासुदेव महतो ने मुख्यमंत्री को विस्थापितों की समस्या विस्तार से बताई. कहा कि डीवीसी आजाद भारत की पहला बहुद्देश्यीय परियोजना है. 1957 में जब मैथन डैम के उद्घाटन हुआ, तब देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने विस्थापितों के पुर्नवास, नौकरी सहित अन्य बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया था. विस्थापित इंतजार करते रहे, लेकिन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू के वचन को डीवीसी ने पूरा नहीं किया. इसके बाद विस्थापितों ने अपने हक व अधिकार के लिए 1968 से आंदोलन शुरू काया. लगातार संघर्ष के बाद डीवीसी ने 1978 में विस्थापितों को नौकरी के लिए आवेदन देने को कहा. प्रबंधन ने मैथन डैम के 701 और पंचेत डैम के 101 यानी कुल 802 आवेदन स्वीकृत किए और हजारों आवेदन को अस्वीकृत कर दिया. इतना ही नहीं 802 आवेदकों में से 1978 से 1992 तक मात्र 64 विस्थापितों को डीवीसी ने नौकरी दी. इसके बाद से विस्थापित छले जा रहे हैं. अब प्रबंधन विस्थापितों को मात्र 4.5 लाख रुपए मुआवजा देकर मामले को खत्म करना चाहती है, जो स्वीकार नहीं है. सीएम से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल में वासुदेव महतो के अलावा संजय टुडू, विजय टुडू, टार्जन मरांडी, कमलकांत बास्की आदि शामिल थे.
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