Search

धनबाद : कांवर यात्रा को लेकर कोयलांचल के दुकानदारों में उत्साह

कोलकाता और बिहार से आता है कांवर को सजाने का सामान Dhanbad : पवित्र सावन महीना शुरू हो गया है. कोयलांचल से शिव भक्त कांवर यात्रा पर निकल रहे हैं. कांवर में गंगा जल लेकर भगवान भोलेनाथ को अर्पण करने की परंपरा काफी पुरानी है. सावन में श्रद्धालु सुल्तानगंज के गंगा तट पर जाते हैं. वहां स्नान करने के बाद कलश में गंगा जल भरते हैं और फिर कांवर में बांध कर कंधे पर लटकाते हुए बाबा धाम पहुंचकर जलाभिषेक करते हैं. इस बाबत कांवर का निर्माण करने व बिक्री करने वाले धनबाद के दुकानदारों में उत्साह का माहौल है. हीरापुर के कांवर दुकानदार ज्ञानी जैल सिंह ने कहा कि पूरे साल भर के बाद सावन महीने में शिवभक्त कांवर खरीदते हैं. लेकिन इस बार मलमास होने के कारण कांवर की डिमांड पिछले साल से कम है. हर साल बाबा को जल चढ़ाने वाले कुछ लोग ही अभी तक कांवर लेने के लिए दुकान पहुंचे हैं. कांवर बांस या लकड़ी से बना होता है, जिसे रंग बिरंगे पताकों, झंडे, धागे, चमकीले फूलों से सजाया जाता है और उसके दोनों सिरों पर गंगाजल से भरा कलश लटकाया जाता है. इस बार कांवर की दर 300 से शुरू हो रही है. अलग-अलग तरह के कांवर सजाने की कीमत भी उसी तरह है. इस बार कांवर की कीमतों में 10 से 15% की वृद्धि हुई है. कांवर बनाने का सारा सामान कोलकाता से मंगाया जाता है. जबकि गोड़िया बिहार से और बांस की पट्टी लोकल रहती है.

कांवर यात्रा का है पौराणिक महत्व

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, गंगा के तट से भगवान राम ने पहली बार भोलेनाथ को कांवर भरकर गंगा जल अर्पित किया था. तब से श्रद्धालु बिहार के सुल्तानगंज से गंगाजल लेकर क़रीब 108 किलोमीटर पैदल यात्रा कर झारखंड के देवघर में बाबा बैद्यनाथधाम (बाबाधाम) में जल चढ़ाते हैं. यात्रा के दौरान सात्विक भोजन किया जाता है. इस दौरान आराम करने के दौरान कांवर को किसी ऊंचे स्थान या पेड़ पर लटका कर रखा जाता है. पूरी यात्रा नंगे पांव करनी होती है. यह भी पढ़ें: धनबाद">https://lagatar.in/dhanbad-crowds-of-devotees-thronged-the-pagodas-on-the-first-day-of-sawan/">धनबाद

: सावन के पहले दिन शिवालयों में उमड़ी भक्तों की भीड़ [wpse_comments_template]

Comments

Leave a Comment

Follow us on WhatsApp