Mithilesh Kumar
Dhanbad : धनबाद (Dhanbad) धनबाद नगर निगम में चापाकलों की मरम्मत के नाम पर लाखों-करोड़ों के वारे न्यारे हो रहे हैं. रिपेयरिंग होती है, मगर एक माह भी नल से पूरे फोर्स में पानी नहीं आ पाता. अगले साल फिर उसी की मरम्मत का खेल शुरू हो जाता है. यूं भी नगर निगम में योजनाओं के नाम पर हर साल टेंडर टेंडर का खेल चलता रहता है. .
अनुमानित आंकड़ों के अनुसार धनबाद शहरी क्षेत्र में कुल 3300 चापाकल हैं. इनमें 50 प्रतिशत खराब है. कुछ जमीन के नीचे समा चुके हैं, तो कुछ का पानी सूख चुका है. शेष चापकलों की मरम्मत के लिए हर साल टेंडर निकलता है, मरम्मत भी होती है, जो एक माह बाद फिर खराब भी हो जाता है. कांट्रेक्टर को एक साल के मेंटेनस की जिम्मेवारी दी जाती है. परंतु एक बार चापाकल ठीक करने के बाद दुबारा उसे ठीक करने की जहमत ठेकेदार नहीं उठाता. शिकायात मिलने के बाद कांट्रेक्टर का भुगतान रोकने की बात निगम तो कहता है, लेकिन चांदी के जूते के आगे अधिकारी नतमस्तक हो जाते हैं. सब कुछ मैनेज हो जाता है. पिछले साल एक हजार चापाकलों को ठीक करने के लिए 25 लाख का टेंडर हुआ था. पूरे साल मेटनेंस भी नहीं हुआ व भुगतान हो गया. अब एक बार फिर 1 हजार चापाकलों की मरम्मत का काम शुरू हुआ है. 65 लाख 60 हजार 750 रुपये का बजट है. अभी तक 200 चापाकल ठीक करने के दावे किये जा रहे हैं.
हर साल दुगुना से भी अधिक हो जाता है बजट
पिछले साल 1 हजार चापाकल के लिए 25 लाख का टेंडर निकाला गया था. दो कंट्रेक्टर को काम दिया गया था. इस साल भी गर्मी में ऐसा ही हो रहा है. लेकिन बजट बढ़कर 65 लाख, 60 हजार 750 रुपये हो गया है. 23 मार्च को टेंडर हुआ. नीलम इंटरप्राइजेज और भगवान सिंह को काम मिला है. दोनों को 12 अप्रैल को वर्क ऑडर मिला. उन्हें एक साल के लिए मेंटेनेंस की जिम्मेवारी दी गई है.
निगम में सब कुछ अनुमान पर चलता है.
नगर निगम में कब कब कितने चापाकल लगे, किसकी अनुशंसा पर लगाए गए, कितने भूमिगत हो चुके हैं, कितने बचे हैं, इन सारी बातों का कोई लिखित आंकड़ा नहीं है. जलापूर्ति विभाग के कर्मी बताते हैं कि नगरपालिका के समय से वर्ष 2012 तक शहरी क्षेत्र में चापाकल लगा है. उसके बाद से यह काम बंद है. सिर्फ पुराने का मेंटनेंस किया जाता है. कितने चापाकल लगे, कितने फीट बोरिंग हुई, इसका लिखित आंकड़ा नहीं है. अदिकारी कहते हैं, अभी तैयार कर रहे हैं. अभी तो सर्वे होता है, उस हिसाब से टेंडर निकाला जाता है. ऐसे एक अनुमान के अनुसार शहरी क्षेत्र में 3300 चापाकल जीवित हैं.
जमीन में समा चुके हैं सैकड़ों चापाकल
शहर में सैकड़ों चापाकलल हैं, जिनका अस्तित्व समाप्त हो चुका है. नगर निगम कार्यालय के बाहर ही एक चापाकल जमीन के अंदर आधे से अधिक धंस गया था. कुछ माह पहले नगर आयुक्त ने उसे उखड़वाया था. इसके अलावा हीरापुर, भिस्तीपाडा, चिरागोड़ा, पुलिस लाइन, पुराना बाजार, भुद्दा, बच्चा जेल, बरटांड, हाउसिंग कालोनी आदि जगहों पर चापाकल सूख चुके हैं या जमीन में धंस गए हैं. लेकिन इसकी सुध लेने वाला भी कोई नहीं है. कई बार इस वजह से बाइक और कार सवार टकरा कर चोटिल भी हो जाते हैं.
कोई जानकारी नहीं है: अपर नगर आयुक्त
धनबाद नगर निगम अपर नगर आयुक्त महेश्वर महतो कहते हैं कि चापाकल की मरम्मत तो हो रही है. इसी महीने वर्क ऑडर दिया गया है. पूर्व में चापाकल की मरम्मत के नाम पर क्या गड़बड़ी हुई, भुगतान हुआ कि नहीं, यह जानकारी मुझे नहीं है. निगम में अभी नया आया हूं, इसलिए ज्यादा कुछ नहीं बता सकता हूं.