Nirsa : भगवान श्री कृष्णा सिर्फ मक्खन चुराते थे. इसका मतलब यह है कि जो सार तत्व है उसे हमें ग्रहण करना चाहिए. जो सार्थक नहीं है उसका त्याग करना चाहिए. भगवान कृष्ण चाहते तो दही व दूध भी चुरा सकते थे, लेकिन उन्होंने दूध व दही के सार तत्व मक्खन की चोरी कर संसार को यह संदेश दिया कि सार तत्वों को ग्रहण करें और निरर्थक चीजों को छोड़ दें. उक्त बातें कथा वाचक उत्तम कृष्ण शास्त्री ने कहीं. वह तिलतोड़िया गांव में श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन शनिवार को कथा सुना रहे थे. कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर इंद्र के घमंड को तोड़कर वृंदावन वासियों को सुरक्षित कर यह संदेश दिया कि अभिमान करना सही नहीं है.
उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने गोपाल बाल के साथ मिलकर मक्खन चुरा कर बाल लीलाएं की. गोपियों को भी उनके मक्खन की चोरी करने का इंतजार रहता था. इसी के बहाने वे भगवान के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त करती थीं. गोवर्धन पूजा का प्रसंग सुनते हुए उत्तम कृष्ण शास्त्री ने कहा कि गोवर्धन का अर्थ है गौ संवर्धन. भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत मात्र इसीलिए उठाया था कि पृथ्वी पर फैली बुराइयों का अंत केवल प्रकृति व गौ संवर्धन से ही हो सकता है.
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