Dhanbad : शहर के जोड़ाफाटक स्थित गुरुनानकपुरा गुरुद्वारा में 11 जून को सिखों के पांचवें गुरु अर्जुनदेव जी का 417वां शहीदी दिवस मनाया गया. इस दौरान धार्मिक दीवान सजाए गए, जिसमें बड़ी संख्या में संगत शामिल हुई. सिख पंथ के अनुयायियों ने गुरुद्वारा के बाहर राहगीरों को ठंडा जल पिलाया और फिर लंगर लगाया गया.
गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के महासचिव अमरजीत सिंह ने बताया कि सिख धर्म के इतिहास की यह पहली शहादत थी. सिखों के पांचवें गुरु के रूप में गुरु अर्जन देव जी ने देश और धर्म के नाम पर बलिदान होने की ऐसी मिसाल पेश की है, जो इतिहास के सुनहरे पन्नों और लोगों के दिलों में अंकित है. मानवता और मानवीय मूल्यों की रक्षा के लिए दी गई पहली शहादत है. इसी कारण गुरुजी को शहीदों का सरताज कहा जाता है. गुरु अर्जन देव जी को भयंकर यातनाएं दी गईं लेकिन उन्होंने देश और धर्म की रक्षा के लिए अपना प्राण न्योछावर कर दिया.