- वर्ष 2004 में जहरीली शराब से मौत का हुआ था तांडव
- केंदुआ, पुटकी व गोविंदपुर समेत कई इलाकों में हुई थी मौत
- दर्जनों लोगों को बेहतर इलाज के बाद मिली थी नई जिंदगी
Raja Gupta
Dhanbad : शराब के पुराने शौकीन आज भी वर्ष 2004 में हुई जहरीली शराब कांड को याद कर सिहर जाते हैं. केंदुआ, पुटकी, गोविंदपुर समेत कई इलाकों में अवैध रूप से बनी नकली शराब पीने से एक महिला समेत 14 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि दर्जनों लोग गंभीर रूप से बीमार हो गए थे. कई दिनों तक पीएमसीएच, सेंट्रल हॉस्पिटल व अन्य निजी अस्पतालों में इलाज कराने के बाद उन्हें नई जिंदगी मिली थी.
इस घटना के 20 साल बाद भी 14 परिवारों में खुशियां नहीं लौटी है. अधिकतर महिलाएं विधवा हो गईं, तो कई ने संतान खो दिया. मृतक परिवार उस समय किसी तरह मजदूरी कर भरण-पोषण करते थे. मुहल्ले से लेकर अस्पताल तक चारों ओर चीख पुकार मची थी. जिला प्रशासन की टीम के साथ-साथ एसपी-डीएसपी व उत्पाद विभाग के अधिकारी केंदुआ, पुटकी, महुदा, कतरास, झरिया, तेतुलमारी, बाघमारा, बलियापुर, सिंदरी, गोविंदपुर, बरवाअड्डा, निरसा, चिरकुंडा, मैथन, तोपचांची, राजगंज समेत दर्जनों इलाकों में लगातार एक से दो महीने तक छापेमारी करती रही और अवैध शराब जब्त करने के साथ-साथ भट्ठियों को ध्वस्त किया गया. कई लोगों की गिरफ्तारी भी की गई थी.
जावा महुआ से बननेवाली शराब से मौत का था दावा
वर्ष 2004 में जहरीली शराब कांड से मौत होने के बाद पुलिस व उत्पाद विभाग के तत्कालीन पदाधिकारियों ने दावा किया था कि कोलियरी व ग्रामीण क्षेत्रों में जावा महुआ से भट्ठियों में बननेवाली शराब के पीने से लोगों की हालत बिगड़ी. पेट में दर्द हुआ, फिर दस्त होने लगी और उसके बाद धीरे-धीरे आंत में असहनीय दर्द के साथ लोग तड़पने लगे. कई लोग बेहोश हो गए. दर्जनों घरों के शराब पीनेवालों की यही स्थिति थी. सभी को क्षेत्रीय अस्पतालों से लेकर पीएमसीएच, सेंट्रल हॉस्पिटल व अन्य निजी अस्पतालों में भर्ती कराया गया. कई ने घरों में और कुछ ने अस्पतालों में दम तोड़ दिया. बेहतर इलाज होने से दर्जनों लोगों की जान बच गई. जानकारों का कहना है कि केंदुआडीह थाना के कुस्तौर में जहरीली शराब पीने से एक महिला समेत नौ लोगों की मौत हुई थी. वहीं पुटकी में दो और गोविंदपुर में एक की मृत्यु हुई थी. जगजीवन नगर के सेंट्रल अस्पताल में जीत बहादुर और कृष्ण सिंह की इलाज के दौरान मौत हुई थी.
आज भी कोलियरी व ग्रामीण इलाकों में बन रही अवैध शराब
जानकारों की मानें, तो आज भी कोलियरी व ग्रामीण इलाकों में भट्ठियों के साथ-साथ कई अवैध मिनी फैक्ट्रियों में महुआ के साथ-साथ देसी व विदेशी शराब बनायी जा रही है. शराब बनाने में किसी तरह के कोई मानक तय का पालन नहीं किया जा रहा है. जैसे-तैसे शराब बनाकर उसे कोलियरी क्षेत्रों के साथ-साथ शहर में भी खपाते हैं. इसके अलावा बिहार समेत अन्य राज्यों में भी शराब की खेप भेजी जा रही है. ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी स्थानीय थाना या उत्पाद विभाग को नहीं है. लेकिन, धंधेबाज वर्दीधारियों से सेटिंग कर अवैध शराब का कारोबार वर्षों से चला रहे हैं. कभी कभार कुछ पकड़े भी गये, तो सप्ताह भर के भीतर जेले से छूट कर बाहर आ जाते हैं. केंदुआ, गोधर, कुस्तौर, महुदा, पुटकी से लेकर कई कोलियरी व नक्सल प्रभावित गांवों में भी नकली शराब बनायी जा रही है.
2016 में भी तीन की हुई थी मौत, आज तक बिसरा रिपार्ट नहीं आई
सूत्रों के अनुसार, वर्ष 2016 में भी पांच फरवरी और आठ जून को जहरीली शराब पीने से तीन लोगों की मौत हुई थी. इसमें पांच फरवरी को हीरापुर मछली पट्टी निवासी रेलकर्मी समीर दास की मौत एसएनएमएमसीएच में इलाज के दौरान हुई थी. वहीं आठ जून को सरायढेला के जगजीवन नगर निवासी सोनू वर्मा (33) और पुलिस लाइन बाउरी पाड़ा निवासी कृष्णा राम (48) की मौत हुई थी. दोनों की मौत के बाद पुलिस ने पोस्टमार्टम कराया था, लेकिन बिसरा जब्त कर लिया. आज तक रांची स्थित फॅारेंसिक साइंस लैब से बिसरा जांच की रिपोर्ट पुलिस के पास नहीं आई है. घटना के दिन पुलिस ने कहा था कि तीनों की मौत अत्यधिक शराब पीने से हुई थी. धनबाद की पुलिस प्रशासन नकली व जहरीली शराब के धंधेबाजों पर पूरी तरह नकेल कसने में विफल साबित हुई है.
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