Dhanbad : पुराना बाजार के शंभू धर्मशाला में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन कथा वाचक श्रीहित प्रताप चंद्र गोस्वामी ने कहा कि सर्वेश्वर भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रज में अनेकानेक बाल लीलाएं कीं, जो वात्सल्य भाव के उपासकों के चित्त को आकर्षित करती हैं. जो भक्तों के पापों का हरण कर लेते हैं, वही हरि हैं. कथा का आयोजन श्री राधाबल्लभ सत्संग समिति एवं मारवाड़ी युवा मंच ने किया है.
उन्होंने छठे दिन की कथा में भगवान का मथुरा प्रस्थान, कंस का वध, महर्षि सांदीपनी के आश्रम में विद्या ग्रहण, कालयवन का वध, उधव -गोपी संवाद, ऊधव द्वारा गोपियों को अपना गुरु बनाना, द्वारका की स्थापना इत्यादि कथाओं का संगीतमय भावपूर्ण पाठ किया गया. कलयुग में भागवत कथा साक्षात श्री हरि का स्वरूप है. इसे सुनने के लिए देवी-देवता भी तरसते हैं. परंतु मानव प्राणी को यह कथा सहज ही प्राप्त हो जाती है. मानव जीवन तभी धन्य होता है, जब वह कथा स्मरण का लाभ प्राप्त कर लेता है.
उन्होंने कहा कि आजकल के लोग भगवान कृष्ण व उनकी लीलाओं को मानवी समझते हैं और बे फिजूल वाद-विवाद करते हैं. वे अपनी मति के अनुसार ही भगवान की चीर हरण लीला, माखन चोरी लीला, गोवर्धन लीला, रासलीला इत्यादि लीलाओं का अर्थ समझते हैं, लेकिन वे इन लीलाओं के पीछे छिपे गुण रहस्यों को समझने का प्रयास नहीं करते. भगवान की हर लीला के पीछे भक्तों का उद्धार और कोई विशेष संदेश छिपा होता है, जिसे केवल भागवत कथा व प्रेम द्वारा ही समझा जा सकता है. उन्होंने कहा कि जिसके जीवन में अधिक पुण्य होते हैं, उन्हें अच्छा परिवार, अच्छा घर, इत्यादि सुख मिल जाते हैं और स्वर्ग में भी सुख साधन प्राप्त होते हैं,
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