Maithon : चिरकुंडा के राम भरोसा धाम मंदिर की स्थापना की पहली वर्षगांठ पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ का 2 जुलाई रविवार को पुष्प की होली, हवन व विशाल भंडारा के साथ समापन हुआ. अंतिम दिन बच्चों ने राधा-कृष्ण व सुदामा की झांकी प्रस्तुत की. वृंदावन से आये कथावाचक माधवजी महाराज ने अंतिम दिन की कथा में कहा कि सभी कामनाओं का त्याग ही तप है. काम-सुख का विचार तक नहीं रखने वाला सबसे बड़ा तपस्वी है. वासना और स्वभाव को जीतने वाला शौर्य है. ब्रह्म को विचार करना श्रेष्ठ सत्य है और धर्म ही सर्वोत्तम धन है.
कथा को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने बताया कि श्री कृष्ण कहते हैं कि मेरी भक्ति प्राप्त करना ही सर्वोत्तम लाभ है. बंधन और मोक्ष के तत्व का ज्ञाता ही पंडित है तथा ग्रंथों में लिखे हुए सिद्धांतों को जीवन में उतारकर भक्तिमय जीवन जीने वाला उत्तम ज्ञानी है. मानव शरीर ज्ञान और भक्ति प्राप्त करने का श्रेष्ठ साधन है. शरीर उत्तम नौका के समान है, सभी फलों का मूल है. यदि इस अमूल्य देह रूपी नौका का सदुपयोग कर भवसागर पार करने का प्रयास नहीं करना आत्मघाती है.आयोजन को सफल बनाने में राम भरोसा धाम मंदिर के प्रधान पुजारी राम रतन पांडे, आचार्य अविनाश पांडे, एकानन्द पांडे, मनोज कुमार पांडे, सत्येंद्र पांडे, पुरुषोत्तम पांडे, शशिभूषण पांडे आदि का योगदान रहा.
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