Mithilesh Kumar
Dhanbad: जिलाधिकारी का जनता दरबार-यहां लोग बड़ी उम्मीद से आते हैं. लेकिन, उम्मीदें यहां टूटती ज्यादा हैं, पूरी कम होती है. डीसी कार्यालय में हर सप्ताह, मंगलवार और शुक्रवार को जनता दरबार लगता है, दर्जनों फ़रियादी आते हैं. उनकी बात सुनी जाती है. पर समाधान कम लोगों का हो पाता है. कारण ‘फालोअप’ नहीं होना है. डीसी संबंधित अधिकारी को तत्काल कह देते हैं या आवेदन भेज देते हैं. उसके बाद क्या हुआ, यह डीसी साहब को पता नहीं होता. फायदा हुआ तो ठीक, नहीं हुआ तो ठीक. डीसी कार्यालय से भेजे गए आवेदनों पर कार्रवाई हुई या नहीं, इसका रिकार्ड नहीं होता. 29 जुलाई को लगातार संवाददाता ने डीसी के जनता दरबार की हकीकत जानने का प्रयास किया-
सुभाष सिंह {फरियादी } : मैं सिंदरी, रोहड़ाबांध का निवासी हूं, सेल ने मेरी साढ़े तीन डिसमिल जमीन पांच साल पहले ली थी. इसके बदले 4 लाख, 85 हजार, 321 रुपया देने की बात हुई थी, लेकिन यह राशि आज तक नहीं मिली है. अंचल अधिकारी परेशान कर रहे हैं. बार बार अलग-अलग कागजात मांगते हैं. पूर्व डीसी उमाशंकर सिंह से भी मिला था, लेकिन कुछ नहीं हुआ, आज दूसरी बार अपनी फरियाद लेकर यहाँ आया हूं .
क्या हुआ : डीसी साहब ने बलियापुर के अंचल अधिकारी से बात की, मामले के त्वरित समाधान का आदेश दिए हैं.
सरस्वती देवी {फरियादी}: मैं डिगवाडीह, 10 नंबर में रहती हूं, मेरा बेटा किशोर पाल, बहू नीमा पाल और नाती आकाश पाल ने कल रात पीटा और घर से निकाल दिया. इसके पहले भी कई बार ये लोग मेरे साथ मारपीट कर चुके हैं. जमीन और घर के कागजात छीन लिए. थाने में रपट लिखा चुकी हूं, कोई सुनवाई नहीं हुई. एसएसपी को भी पूर्व में आवेदन दिया था, कुछ नहीं हुआ. थकहार कर डीसी साहब के पास पहुंची हूं.
क्या हुआ : डीसी कार्यालय के बाहर मौजूद कर्मियों ने अंदर नहीं जाने दिया, बोला कि घरेलू झगड़े में साहब क्या कर सकते हैं. सुरक्षा कर्मियों से बाहर करवा दिया.
विमला देवी : मैं गोविंदपुर, विलेज रोड की निवासी हूं. मेरा पड़ोसी, मेरा रास्ता बंद करना चाह रहा है, मेरी दुकान का भी अतिक्रमण कर लिया है, स्थानीय थाना और एसडीओ को आवेदन दे चुकी हूं, कोई सुनवाई नहीं हुई, उलटे मेरे ऊपर थाने में केस करवा दिया है. एक साल से परेशान हूं, थकहार कर डीसी साहब के पास पहुंची हूँ.
क्या हुआ : डीसी साहब ने समस्या के समाधान का आश्वासन दिया है.
जयदेव प्रसाद: मैं धनबाद के धोवाटांड़ का हूँ, पांच माह से मुझे पेंशन नहीं मिल रही है. इसी समस्या को लेकर डीसी से मिलने आया था, लेकिन कर्मचारियों ने मिलने नहीं दिया. डीसी कार्यालय में कार्यरत महिला कर्मी ने कहा कि 8 हजार लोगों का दिव्यांग पेंशन रुका हुआ है. डीसी साहब से मिलने से क्या होगा, जब सबका पैसा आएगा तो इन्हें भी मिल जाएगा.
चिंता देवी: झरिया, भालगढ़ा की हैं. बोली -शहर में न तो हमारी जमीन है और न घर. रेलवे की जमीन पर झोपड़ीनुमा घर बना कर रहती थी, जिसे रेलवे के अधिकारियों ने तोड़वा दिया है. गरीब हूं, किराए के मकान में नहीं रह सकती, इसलिए पक्का मकान दिलाने के लिए डीसी के पास आई थी.
क्या हुआ : डीसी कार्यालय के कर्मियों ने यह कह कर बाहर कर दिया कि यहाँ घर नहीं मिलता है, यहाँ से जाओ, कुछ नहीं हो सकता.
पूर्णिमा दत्ता: झरिया पौद्दारपाडा निवासी पूर्णिमा दत्ता ने कहा कि वर्ष 2020 में कोरोना संक्रमण के कारण पति की मौत हो गई. अस्पताल वालों ने कोरोना का सर्टिफिकेट नहीं दिया. जिसके कारण मुझे आज तक मुआवजा नहीं मिला है, परिवार में कोई सहारा नहीं है, दूसरे के घरों में झूठा बर्तन धोकर किसी तरह गुजारा कर रही हूं, स्कुल ने फ़ीस नहीं जमा करने पर बच्चों को बाहर कर दिया है, डीसी सर से मदद के लिये आई थी.
क्या हुआ : डीसी साहब ने तत्काल कोई मदद तो नहीं की, सिर्फ कहा ठीक है देखते है.
ममता रवानी : रघुनाथपुर पंचायत के असुरबेड़ा की हैं. 9 साल तक एक NGO के साथ बच्चों की देखभाल की हूं. आंगनबाड़ी में चयन के लिए अपनी एक सहयोगी के साथ डीसी सर के पास पहुंची थी.
क्या हुआ : डीसी ने कहा -ठीक है, देखते हैं , इसमें क्या हो सकता है.
सुजीत महतो : मैं चिरकुंडा के बेनागड़िया का रहने वाला हूँ. जवाहर नवोदय विद्यालय के प्राचार्य बेटी का नामांकन नहीं होने दे रहे हैं. सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी चयन में आनाकानी की जा रही है, जबकि बेटी बीपीएल कोटे से आती है.
क्या हुआ : मामले की जाँच शिक्षा विभाग से करा कर समाधान किया जाएगा.
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