Sindri : सिंदरी (Sindri) सिंदरी के शहरपुरा शिव मंदिर में नौ दिवसीय श्री राम कथा मंदाकिनी के अंतिम दिन मंगलवार 11 अप्रैल को सुंदरकांड की कथा का विस्तार करते हुए कथावाचिका डॉ अमृता करुणेश्वरी ने बताया कि कलियुग का मनुष्य प्रभु के नाम से ही भवसागर को पार कर पाएगा. उन्होंने नौवें दिवस की कथा में हनुमानजी की बुद्धि व विवेक से आज के युवाओं को सीखने को कहा और मेघनाद-लक्ष्मण युद्ध व मर्यादा पुरुषोत्तम राम व रावण के युद्ध का नाट्य रूपांतरण कराया.
कथावाचिका ने बताया कि हनुमानजी महाराज के पास अतुलित बल था लेकिन उन्होंने कई स्थानों पर अपनी बुद्धि और विवेक का उपयोग किया. राम को हनुमानजी अतिप्रिय थे. कारण था कि राम जितना कहते थे, बजरंगबली उतना ही करते थे. इसलिए संतों का कहना है कि जिसने अपने अंदर के अहंकार का नाश किया, वही हनुमान है. आज के युवाओं को हनुमानजी से सीख लेनी चाहिए.
कथावाचिका ने कथा का अंत प्रभु द्वारा 31 बाणों से रावण के अंत के साथ की. उन्होंने बताया कि अंत समय रावण ने भगवान का नाम लिया और रावण के शरीर से एक दिव्य ज्योति निकलकर भगवान के अंतःकरण में स्थापित हो गई. रावण को परम गति प्राप्त हुई और प्रभु राम का राज्याभिषेक बतते हुए शिवजी ने माता पार्वती को इस कथा का सार बताया कि कलियुग में केवल नाम ही आधार होगा. कलियुग का मनुष्य राम का नाम लेकर ही भवसागर को पार करेगा.
श्री राम कथा मंदाकिनी में समिति अध्यक्ष प्रशांत कुमार दुबे, कमेटी महासचिव भाजपा नेता दिनेश सिंह, कथा संयोजिका भाजपा नेत्री रंजना शर्मा, मोहित मिश्रा, अंजनी तिवारी, उमा शर्मा, शम्पा शील, अनीता श्रीवास्तव, सावित्री पाण्डेय, शारदा सिंह आदि मौजूद थे.